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Tuesday, 10 May 2016

hadees shareef

बिस्मिल्ला हिर्रह़मा निर्रह़ीम

#_हज़रत_अबू_हुरैरा_की_थैली

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हज़रत अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु का बयान है कि मैं हुजूरे अक़दस सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम कि ख़िदमत में हाज़िर हुआ तो आप ने मुझे चन्द खजूरें अत़ा फ़रमाई तो मैंने अर्ज़ किया कि या रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम !!.. इन खजूरों में बरक़त की दूआ फ़रमा दीजिए ! आप ने उन ख़जूरों को इकट्टा करके दूआ-ए-बरकत फ़रमा दी ! और इरशाद फ़रमाया कि तुम इनको अपने तोशादान मे रख लो ! और तुम जब चाहो हाथ डालकर उसमें से निकालते रहो ! लेकिन कभी तोशादान झाड़ कर बिल्कुल ख़ाली न कर देना !! चुनान्चे हज़रते अबू हुरेरा रज़ियल्लाहु अन्हु तीस बरस तक उन खजूरों को खाते रहे और खिलाते रहे ! बल्कि कई मन उसमें से ख़ैरात भी कर चुके, मगर वह ख़त्म न हुई..!!..

हज़रते अबू हुरैरा रजियल्लाहु अन्हु हमेशा उस थैली को अपने कमर से बांधे रहते थे,यहाँ तक कि हज़रते उस्मान रज़ियल्लाहु अन्हु की शहादत के दिन वह थैलि उनके कमर से कट कर कही गिर गई !!...

(मिश्कात शरिफ़ जि.2 स.542)

उस थैली का जायज़ होने का हज़रते अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु को उम्र भर सदमा और अफ़सोस रहा ! चुनान्चे वह हज़रते उस्मान रज़ियल्लाहु के शहादत के दिन निहायत रिक़्कत-अंगेज़ और दर्द भरे लहजे यह शेअ़र पढते हुए चलते फिरते थे कि.:.

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लोगो के लिए एक ग़म है और मेरे लिए दो ग़म हैं..!

एक थैली का गम़,दूसरे शेख उस्मान रजियल्लाहु अन्हु का ग़म ...!!...

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