Kabristan me jaane ke aadab

Sajid Sayyed
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Kabristan me jaane ke aadab


Kabristan me jaane ke aadab


 सवाल :- क्या क़ब्रिस्तान के अंदर जूते - चप्पल पहनकर जा सकते हैं?


जवाब :- शरीअत का हुक्म येह है कि क़ब्रिस्तान में अगर दफ़्न करने जाये तो जूते - चप्पल उतार ले और क़ब्र वालों केलिये बख़्शिश की दुआ करता हुवा चले,
और अगर रास्ते में कांटे वग़ैरा तकलीफ़ देने वाली चीज़ें हों
और रास्ता क़ब्रों से अलग हो और पुराना हो तो मुआफ़ है, क़ब्रों के क़रीब से जूते - चप्पल पहनकर गुज़रने से मैयत को तकलीफ़ा होती है, और क़ब्र पर चढ़ना नंगे पैर ही तो सख़्त गुनाह और
अगर जूते - चप्पल पहनकर हो तो और ज़ियादा गुनाह है । अपने किसी रिश्तेदार की तक जाने केलिये अगर क़ब्रों पर से गुज़रना पड़े तो वहां तक जाना मना है, दूर से ही फ़ातिहा पढ़ दे ।
अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया: "तलवार की धार पर पैर रखना मुझे क़ब्र पर पैर रखने से ज़ियादा आसान है ।"

कंज़ुल उम्माल: हदीस नं० 42563


और फ़रमाया: "अगर मैं अंगारे पर पैर रखूं और वोह जूते का तला तोड़कर मेरे तलवे तक पहुंच जाये तो येह मुझे किसी मुसलमान की क़ब्र पर पैर रखने से ज़ियादा आसान है ।"

इब्ने माजा शरीफ़: हदीस नं० 1567

यह वह फ़रमा रहे हैं जो अल्लाह की क़सम अगर मुसलमान के सर और सीने और आंखों पर अपना मुबारक क़दम रख दें तो उसको दोनों जहान का चैन बख़्श दें ।

फ़त्हुल क़दीर और तह्तावी और रद्दुल मोहतार (जिल्द 1, पेज 612) में है कि: "क़ब्रिस्तान में जो नया रास्ता निकला हो उसमें चलना हराम (गुनाह) है । क्यूंकि येह रास्ता ज़रुर क़ब्रों के उपर होगा ।
हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के समाने एक साहिब क़ब्रिस्तान में जूता पहने हुवे निकले, आप ने फ़रमाया: ओ जूते वाले ! अपने जूते उतार दे, और फ़रामाया: "तू क़ब्र वाले को ना सता, वोह तुझे ना सतायेगा ।"


सहीह इब्ने हिब्बान: हदीस नं० ३१६०
अल मुस्तदरक: हदीस नं० ६५६१

Kabristaan Me Dakhil Hotay Waqat Ki Dua


Kabristan Mai Dakhil Hotay Waqt Ki Dua


क़ब्र पर मिटटी डालते वक़्त की दुआ


क़ब्र पर मिटटी डालते वक़्त की दुआ urud


bi-smi llāhi r-raḥmāni r-raḥīm

Mafhum -E- Hadees:⤵

Kabristan main daakhil hokar yeh dua padhe


✦ Hazrate Buraida RadiALLAHuanhu se riwayat hai ki 

RASOOL-ALLAH  sallallahu alaihi wasallam ke sath main the ki jab woh Kabristan ki taraf nikale to ye farmaye

السلام عليكم أهل الديار من المؤمنين والمسلمين

وإنا إن شاء الله بكم لاحقون نسأل الله لنا ولكم العافية.

✦ Assalamu ‘alaykum ahlad•diyar minal•mu’minina wal•muslimin, wa inna insha’ Allah bikum lahiqun, nas’alul•laha lana wa lakumul•‘afiyah

✦ Salam ho tum par aye ghar walon, Ahle Islam aur Ahle imaan main se aur ham bhi InshaALLAH tum se Milne wale hain Ham ALLAH se apne liye aur tumhaare liye Aafiyat maangte hai. 

📚 { Sunan Ibn Majah, Volume .1, hadees number1547-Sahih}

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  1. Humdulillah. Good job & good information about the Islam and muminin muslemin

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