Ayatal Kursi Padhne Ke Faide
✍Jo insan Har Farz Namaaz Ke Baad Aayatul Kursi padh le To
Us ke Jannat Me Dakhil Hone Ke Darmiyan Sirf Maut Hai
📚«Nasai, Ibne Habban»
2,Jo Shakhs Farz Namaaz Padhne Ke Baad Aayatul Kursi padh le Wo Dusri Namaaz Tak ALLAH Ta’ala Ki Khas Hifazat Me Rahega
📚(Tibrani)
👉3,Jo Bhi Sote Waqt Aayatul Kursi Ki Tilawat Karega ALLAH Us Ke Aur Uske Ghar Walo Ko Apni Hifazat Ata Farmaega
📚(Marqat Sharah Mishkaat)
4,Jis Ghar Me Aayatul Kursi Ki Tilawat Hoti Hai Jinnat Aur Shaitan Uske Nazdeek Nahi Aate
📚(Tirmizi Altargheeb Wal Tarheeb Lilmanzari, Jild -2, Safa -631)
🔲5,Agar Koi Ghar Me Tanha Ho Aur Wo Aayatul Kursi Ki Tilawat Kare Aur ALLAH Se Madad Chahe To ALLAH Use Aman Aur Sukoon Ata Farmaega Aur Har Khauf Se Najaat Ata Farmaega
🌱6,Agar Koi Shakhs Subh Ke Waqt Aayatul Kursi Ki Tilawat Kar Le To Wo Pura Din ALLAH Ta’ala Ki Hifazat Me Rahega
7,Ghar Se Nikalte Waqt Aayatul Kursi Ki Tilawat Karne Se ALLAH Farishto Ki Jama’at Ko Bhej Kar Hifazat Karta He
🍁8,Hazrate Aaisha radiallahu Ta’ala Anha Se Riwayat Hai Ke
Ek Baar Ek Sahabi Ne Huzoor Sallallahu Alaihi Wasallam Ki Baargah Me Aakar Kaha Ke Mere Yaha Kisi Cheez Me Barkat Nahi Hai To Huzoor Sallallahu Alaihi Wasallam Ne Farmaya Ke. Tum Apne Khane Par Aayatul Kursi Tilawat Nahi Karte Ho
Jis Khane Ki Cheez Par Tum Aayatul Kursi Ki Tilawat Karoge ALLAH Ta’ala Us Me Barkat Ata Farmaega
📚(Tafseer Dar Manshoor, Jild -1, Safa -323)
🔰9,Agar Koi Har Roz Ziyada Aayatul Kursi Ki Tilawat Karega To ALLAH Use Maut Ke Waqt Aasani Ata Farmaega
💠10,Jab Koi Aayatul Kursi Tilawat Karke Apne Marhoomo Ko Isaal e SawaabKarega To. ALLAH Ta’ala Unki Qabro Me Noor Ata Farmaega
Isliye dosto, ayatal kursi padha karo aur jinko yaad nahi wo jaldi hi yaad kar len, bahut faida hoga inshaAllah.
💐 *Allah hum sabko amal ki taufik ata kare, aameen.*💐
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Ayatal Kursi |
Aayatul Kursi Ki Fazilat
🌷 Mafhoom-E- HADIS:- अबु Hurayarah (रज़ियल्लाहु अन्हु) से रिवायत है कि रसूल'अल्लाह (सल्लल्लाहु अलैहे वसल्लम) ने फरमाये की -
हर चीज़ की कोई बुलंदी होती है क़ुरान की बुलंदी सूरह-बक़राह है
उसमे एक आयत सब की सरदार है
मतलब ayatul kursi
📚(Reference:- Tirmizi sharif)
🌷 Mafhoom-E- HADIS:- "रात को सोने से पहले ayatul kursi पढ़ने वाले के लिए अल्लाह की तरफ से एक फरिश्ता हिफाजत के लिए मुक़र्रर कर दिया जाता है और उसके पास shaitan नही आता"
📚(Reference:- Bukhari sharif)
🌷 Mafhoom-E- HADEES:- जिससे शैतानी waswase आते है वो ayatul kursi तिलावत कर लिया करें
📚(Reference:- Sahi Bukhari sharif)
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आयतुल कुर्सी की फजीलत में बहुत सी हदीसें, हदीस की किताबों में आई हैं। लेकिन इखतिसार के मद्देनजर यहां सिर्फ चंद अहम फजिलतें जि़क्र कर रहा हूँ। जिनके सही होने पर तमाम उलमा-ए-उम्मत मुत्तफिक हैं।
सब से ज्यादा अज़मत वाली आयत
हज़रत ओबय बिन काब (रज़ियल्लाहु अन्हु) से रसूलुल्लाह सल्ललाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया कि अल्लाह की किताब में सबसे ज्यादा अज़मत वाली आयत कौन-सी है? हज़रत ओबय बिन काब (रज़ियल्लाहु अनहु) ने फरमाया, अल्लाह और उसके रसूल ही को इसका सबसे ज्यादा इल्म है। आप सल्ललाहु अलैहि वसल्लम ने दो बारह यही सवाल किया। बार-बार सवाल करने पर हज़रत ओबय बिन काब (रज़ियल्लाहु अनहु) ने फरमाया आयतुल कुर्सी। आप सल्ललाहु अलैहि वसल्लम ने हज़रत ओबय बिन काब (रज़ियल्लाहु अनहु) के सीने पर हाथ मार कर फरमाया, अबुल मुंजिर! अल्लाह तआला तुझे तेरा इल्म मुबारक करे। (मुस्लिम बाब-फजल, सूरह अलकहफ व आयतल कुर्सी), मुसनद अहमद में भी यह लिखा हुआ है कि हुजूर अकरम सल्लालु अलैहि वसल्लम ने फरमाया उस अल्लाह की कसम जिसके हाथ में मेरी जान है, इस (आयतुल कुर्सी) की ज़बान होगी और होंट होंगे और यह बादशाहे हकीकी की तकदीस बयान करेगी और अर्श के पाये से लगी हुई होगी।
(मुसनद अहमद 5/141-142)
हज़रत अबुज़र गि़फारी (रज़ियल्लाहु अन्हु) के सवाल पर आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया कि सबसे ज्यादा अज़मत वाली आयत, आयतुल कुर्सी है।
(मुसनद अहमद 5/178, नसई 5509)
जन्नत में दाखिल होने का तरीका
हज़रत अबु ओमामा अलबाहेली (रज़ियल्लाहु अन्हु) से रिवायत है कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फरमाया, जो आदमी हर फजऱ् नमाज़ के बाद आयतुल कुर्सी पढ़ले, उसे जन्नत में जाने से कोई चीज़ नहीं रोकेगी, सिवाए मौत के।
(इबने हब्बान ने अपनी सही में और इमाम नसई ने अमलुल यौमे वल्लैले में यह हदीस जिक्र की है, इस हदीस की सनद शर्त बुखारी पर है)
शयातीन व जिन्नात से हिफाज़त
हज़रत अबु हुरैरा (रज़ियल्लाहु अन्हु) से रिवायत है कि मैं रमज़ान में वसूल की गई ज़कात के माल पर पहरा दे रहा था, एक आने वाला आया और समेट समेट कर अपनी चादर में जमा करने लगा। हज़रत अबु हुरैरा (रज़ियल्लाहु अन्हु) ने उसको एसा करने से बार बार मना फरमाया। उस आने वाले ने कहा कि मुझे यह करने दो, मैं तुझे एसे कलेमात सिखाऊंगा कि रात को बिस्तर में जा कर उन को पढ़ लेगा तो अल्लाह की तरफ से तुझ पर हाफिज़ मुकरर्र होगा और सुबह तक शैतान तेरे करीब भी न आ सकेगा और वह आयतुल कुर्सी है। जब हज़रत अबु हुरैरा (रज़ियल्लाहु अन्हु) ने हुज़ूर अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को यह वाक्या सुनाया तो आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया कि उसने सच कहा मगर वह खुद झुठा है और शैतान है।
(सही बुखारी, किताबुल वकालह)
हज़रत ओबय बिन काब (रज़ियल्लाहु अन्हु) फरमाते हैं कि मेरे पास कुछ खजुरें थीं जो रोज़ाना घट रही थीं, एक रात मैंने पहरा दिया। मैंने देखा कि एक जानवर मिस्ले जवान लड़के के आया, मैंने उसको सलाम किया, उसने मेरे सलाम का जवाब दिया, मैंने उससे पुछा कि तु इंसान है या जिन्नात? उसने कहा मैं जिन्नात हूं। मैंने कहा कि ज़रा अपना हाथ दो, उसने अपना हाथ बढ़ा दिया, मैंने अपने हाथ में ले लिया तो कुत्ते जैसा हाथ था और उसपर कुत्ते जैसे बाल भी थे, मैंने पुछा तुम यहां क्यों आए हो? उसने कहा कि तुम सदका को पसंद करते हो और मैं तुम्हारे माल को लेने आया हूं ताकि तुम सदका न कर सको। मैंने पुछा कि तुमहारे शर से बचने की कोई तदबीर है? उसने कहा आयतल कुर्सी, जो आदमी शाम को पढ़ले वह सुबह तक और जो सुबह को पढ़़ले वह शाम तक महफूज़ हो जाता है। सुबह होने पर हज़रत ओबय बिन काब (रज़ियल्लाहु अन्हु) ने नबी अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से इस वाक़या का जि़क्र किया तो आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया कि खबीस ने यह बात बिल्कुल सच्ची कही है।
(नसई, तबरानी- अतरगीब वत्तरहीब 662)
इसी तरह का एक वाक़या हज़रत अबु अयूब
अंसारी (रज़ियल्लाहु अन्हु) का भी अहादीस की किताबों में जि़क्र है। कहने का मक़सद ये है कि आयतल कुर्सी के जरिया जिन्नात व शयातीन से हिफाज़त के बहुत से वाक़यात सहाबा के दरमयान पेश आए हैं।
(तफसीर इबने कसीर)
हज़रत हज़रत अबु हुरैरा (रज़ियल्लाहु अन्हु) से रिवायत है कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फरमाया जो आदमी सूरह अलमोमेनून को हामीम से एलैहिल मसीर तक और आयतल कुर्सी को सुबह के वक्त पढ़ लेगा वह शाम तक अल्लाह तआला की हिफाज़त में रहेगा और शाम को पढ़ने वाले की सुबह तक हिफाज़त होगी।
(तिर्मीज़ी, किताब फजाएल अलकुरान, बाब माजा फी सुरह अलबकरा आयतल कुर्सी 2879)
आयतल कुर्सी इसमे आज़म पर मुशतमिल
हज़रत असमा बिन्ते यज़ीद (रज़ियल्लाहु अन्हा) से रिवायत है कि हुजूर अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फरमाया कि इन दोनों आयतों में अल्लाह तआला का इसमे आज़म है। एक तो आयतल कुर्सी और दूसरी आयत अलीफ लामीम अल्लाहु ला इलाह अखीर तक।
(मसनद अहमद 6, 461, अबु दाउद, किताबुल वितिर बाबुद्दुआ, 1496, तिर्मीज़ी, किताबुद्दावात, बाबफीइजाबिद्दुआ ब तकदीमिलहमद 3478, इबन माजा, किताबुद्दुआ, बाब इस्मुल्लाहिल आज़म 3855)
हज़रत अबु ओमामा अलबाहिली(रज़ियल्लाहु अन्हु) से रिवायत है कि हुजूर अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फरमाया कि इसमे आज़म जिस नाम की बरकत से जो दुआ अल्लाह तआला से मांगी जाए वह कुबूल फरमाता है, वह तीन सूरतों में है सूरह अलबकरा, सूरह आले इमरान और सूरह ताहा।
(इबने माजा, किताबूद्दूआ, बाब इसमिल्लाहिल आज़म 3855)
वज़ाहत- सूरह अलबकरा में आयत नं॰ 255, सूरह आले इमरान में आयत नं॰ 12 और सूरह ताहा में आयत नं॰ 111 है।
आयतल कुर्सी चैथाई कुरान
हुजूर अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने आयतल कुर्सी को चैथाई कुरान कहा है।
(मसनद अहमद 3/221, तिर्मीज़ी किताबुलफजाएल अलकुारन, बाब माजाफी इज़ाजुलजलत 2895)
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