Kafiro Ke Tehwaar(jaise ki) Diwali,Holi,Christmas Wagaira Ko Ach'chha Samajna AurInki Tazeem Me Mubarak Baad DenaKUFR Hai Fataawa Razviya,Jild-14 Safa-273

हदीस
जो शख्स जिस क़ौम की नक़ल करेगा( मुशाबिहत अख्तियार करेगा ) उसका हशरउसी क़ौम के साथ होगा ।।

📚(अबु दाऊद , हदीस- 4031 )

क़ुरानऐ ईमान वालो ! इस्लाम में पूरे पूरे दाखिल होजाओ और शैतान के क़दमो की ताबेदारी नाकरो ! वोह तुम्हारा खुला दुश्मन है |

🌷 (2 सूरेबक़रा , आएत , 208 )

इसलिये मुसलमान सिर्फ इस्लामी साल कीही मुबारकबाद दे । जो मुहर्रम से शुरू होता है ।




 Kafiro Ke Tehwaar(jaise ki) Diwali,Holi,Christmas Wagaira Ko Ach'chha Samajna AurInki Tazeem Me Mubarak Baad DenaKUFR Hai

📚 Fataawa Razviya,Jild-14 Safa-273

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*🛡HINDUWO KE MAZHABI TEHWAR KI MUBARAK BAD DENA KAISA HAI!❓*


↘MASLA:-Diwali, Holi, Ganpati Wagaira Ahle Hinud Ke Kufriya Tehwaro Ke Mauqo Par Musalman Apne Zati Akhbaraat Me Hinduwo Ko Diwali Holi Wagaira Mubarak Baad Pesh Karte Hain Aur Is Mubarak Badi Par Government Office Paisa Deti Hai-
Kya Ye Amal Aur Paisa Lena Jayez Hai!?

📝AL JAWAB:- In Mushrikana Mazhabi Tehwaro Par Hinduwo Ko Mubarak Baad Dena Ashad Haram Balke Minjirali Kufr Hai...

Jo Musalman Aesa Karte Hain Unpar Tauba-O-Tazdid E Iman-O-Nikah Lazim Hai Aur Ispar Paisa Lena Bhi Haram-O-Gunah...

Alam Giri Me In Bato’n Ke Bayan Me Hai Jo Kufr Hain...

🎴"و بخروجه إلى نيروز المجوس والوافقة معهم فيما يفعلون فى ذلک اليوم (إلى أن قال) وبإهداںٔه ذلک
اليوم للمشركين ولو بيضة تعظيما ذلک اليوم.''

"Aur Mazusiyo Ke Tehwar Nauroz Me Sharik Hone Aur Is Din Ke Mushrikana Af'al Me Inki Mowafiqat Karne Ki Wajah Se(Mazid Farmaya) Aur Us Din Ki Tazeem Karte Hue Mushrikeen Ko Us Din Tohfa Dene Ki Wajah Se(Muslaman Kafir Hojata Hai) Agar'che Tohfa Me Ek Anda Hi De"

Aur Zahir Hai Ke Mubarak Baad Dena Hadya Dene Se Kamm Nahi Hai...
 *واللّٰه تعالىٰ اعلم*

📚[Fatawa Shareh Bukhari/Kitab Ul Aqaid/Jild:-02/Page No:-565-566]

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*🛡HINDUWO KE MAZHABI TEHWAR KI MUBARAK BAD DENA KAISA HAI!❓*
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_*आतशबाजी (पटाखे Fireworks)*_
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_*🎇पटाखे ख़रीदना, बेचना या फोड़ना इस्लामी शरीअत में क्या हुक्म है❓*_

_*पटाखे की इजाद (शोध) किसने की❓*_

_*💡आइये इसके बारे में जानते हैं*_

_*🌹हकीमुल उम्मत मुफ़्ती अहमद यार खान नईमी رحمة الله تعالى عليه अपनी किताब इस्लामी ज़िन्दगी में लिखते है: आतिशबाज़ी के बारे में मशहूर ये है के ये नमरूद काफ़िर बादशाह ने इजाद (शोध) की, उसने हज़रते इब्राहीम عليه السلام को आग में डाला और आग गुलज़ार हो गई  तो उसके आदमियों ने आग के अनार भर कर उनमे आग लगा कर हजरते इब्राहीम खालिलुल्लाह  عليه السلام  की तरफ फैके*_

_*और फरमाते है: आतशबाजी (पटाखे Fireworks) बनाना, इसका बेचना, इसका ख़रीदना और (बच्चो) वगैरा को खरीदवाना इसका चलाना या चलवाना (फोड़ना) सब हराम है.*_

_*📕 इस्लामी ज़िन्दगी 77,78*_

_*मेरे आक़ा, आला हज़रत इमामे अहले सुन्नत, इमाम अहमद रज़ा  खान رحمة الله تعالى عليه  से इस बारे में पूछा गया तो फ़रमाया:*_ 

_*आतशबाजी (पटाखे वगैरा जलाना) जिस तरह शादियों वगैरा में राइज है बेशक हराम और पूरा जुर्म है के इसमें माल की बरबादी है.*_

_*📕 फतावा रज़विय्या, जिल्द 23, सफहा 279*_

_*मुसलमानों का लाखो रूपया हर साल इस रस्म में बरबाद हो जाता है और हर साल खबरे आती है के फुला जगह से इतने घर आतिशबाज़ी से जल गए और इतने आदमी जल कर मर गए, इसमें जान का खतरा माल की बरबादी  और मकानों में आग लगने का अंदेशा है, और अपने माल में अपने हाथ से आग लगाना और फिर ख़ुदा तआला की नाफ़रमानी का वबाल अपने सर पर डालना है, ख़ुदा के लिए इस बेहूदा और हराम काम से बचो, अपने बच्चो और रिश्तेदारों को रोको जहाँ आवारा बच्चे ये खेल खेल रहे हो वह तमाशा देखने के लिए भी न जाओ.!*_

_*जो लोग पटाखे वगैरा में अपना पैसा बरबाद करते है वो शैतानो के भाई है. जी हाँ! ये किसी के घर की बात नहीं रब्बे अकबर का फरमान है, ऐ मुसलमान!! तेरा रब अपने पाक कलाम में तुझसे फरमा रहा है*_

*وَلَا تُبَذِّرۡ تَبۡذِيرًا إِنَّ ٱلۡمُبَذِّرِينَ كَانُوٓاْ إِخۡوَٰنَ ٱلشَّيَٰطِينِۖ وَكَانَ ٱلشَّيۡطَٰنُ لِرَبِّهِۦ كَفُورٗا*

_*📝तर्जमा: और फुजूल न उड़ा. बेशक फुजूल उड़ाने वाले शैतानो के भाई है और शैतान अपने रब का बड़ा ना शुक्रा है.!*_

_*📕 पारा 15, सूराऐ बनी इसराइल, आयत नं 26, 27*_

_*तुम्हारे नबी अहमदे मुज्तबा, मुहम्मद मुस्तफ़ा صلى الله تعالى اليه واله وسلم फरमाते है:*_

_*जो किसी कौम से मुशाबह्त करे (यानि उनके जैसा भेस अपनाये या उनके जैसे काम करे) वो उन्ही में से है.!*_

_*💫 मुसलमान की कब ये शान है के वो अपने वक़्त, माल, वगैरा को ऐसे फुजूल कामो में बर्बाद करे? खुदारा अपने हाल पर रहम करो और ऐसे शैतानी कामो से खुद को और अपनी आल औलाद को बचाओ, ये बहाने मत बनाओ के बच्चे ने जिद की तो पटाखे दिलवा दिए, वरना बच्चे रोयेंगे, बच्चे रोते है तो रोने दो, कितना रोयेंगे, दुन्या का रोना आखिरत के रोने से करोड़ो दरजे अच्छा है, आज तुमको अपने बच्चे के रोने पर रहम आ जाता है और उसकी हर ख्वाहिश पूरी करते हो, चाहे शरीअत में वो काम हराम ही क्यों न हो, तुम्हारा यही बेटा, बेटी इसी तरह पटाखे, और काफ़िरो के तरीको पर चल चल कर गुनाह करता रहा, और तुम्हारी दी हुई बुरी तालीम पर चल कर अपने रब का ना फरमान होकर बरोज़े क़ियामत मुजरिमों की सफ़ में खड़ा हो गया और उसे दोज़ख में जाने का हुक्म सुना दिया गया तब तुम अपने इस लख्ते जिगर का रोना देख सकोगे, अरे वहा तुम्हारी एक न चलेगी, बच्चे छोटे है कहकर बात को मत टालो, अभी से उनकी जैसी तर्बिय्यत करोगे बड़े होकर वैसे ही बनेंगे, अभी से उनको ये बात सिखाओ के हम मुसलमान है हमारा ये काम नहीं है।*_

_*ये अल्लाह पाक और उसके रसूल का हुक्म है जिस से मुसलमान कभी मुंह नहीं फेरेगा,*_

_*☝🏻अल्लाह तआला फरमाता है:*_

*فَلَا وَرَبِّكَ لَا يُؤۡمِنُونَ حَتَّىٰ يُحَكِّمُوكَ فِيمَا شَجَرَ بَيۡنَهُمۡ ثُمَّ لَا يَجِدُواْ فِيٓ أَنفُسِهِمۡ حَرَجٗا مِّمَّا*
  *قَضَيۡتَ وَيُسَلِّمُواْ تَسۡلِيمٗا*

_*📝तर्जमा: तो ऐ महबूब! तुम्हारे रब की क़सम वो मुसलमान न होंगे, जबतक अपने आपस के झगड़ो में तुम्हे हाकिम न बना ले फिर जो कुछ तुम हुक्म फरमा दो अपने दिलो में उस से रुकावट न पाए और जी से (सच्चे दिल से) मान ले.!*_

_*📕 पारा 5, सुराए निसा, आयात नं 65*_

_*बे ईमान को जब नसीहत की जाती है तो उसको गुनाह की ज़ियादा जिद चढ़ती है और गुस्से में आकर और ज़ियादा गुनाह करता है,*_

_*☝🏻तुम्हारा रब फरमाता है:*_

*وَإِذَا قِيلَ لَهُ ٱتَّقِ ٱللَّهَ أَخَذَتۡهُ ٱلۡعِزَّةُ بِٱلۡإِثۡمِۚ فَحَسۡبُهُۥ جَهَنَّمُۖ وَلَبِئۡسَ ٱلۡمِهَادُ*

_*📝तर्जमा: और जब उससे कहा जाये के अल्लाह से डर! तो उसे और जिद चढ़े गुनाह की ऐसे को दोज़ख काफी है और वो ज़रूर बहुत बुरा ठिकाना है.!*_

_*📕 पारा 2, सूरतुल बक़रह, आयात नं 206*_

_*ये इलज़ाम भी न लगाना के ऐसी बाते करके देश में कौमवाद फैलाते हो, नहीं नहीं हम तो सिर्फ मुसलमानों को समजाते है, गैर मुस्लिमो को जो करना है करे.*_

_*☝🏻रब फरमाता है के तुम कह दो:*_

*لكم دينكم ولي دين*


_*📝तर्जमा: तुम तुम्हारे दीन को संभालो और हमारे लिए हमारा दीन काफी है.!*_

_*📕 पारा 30, सूरतुल काफिरून, आयत नं 6*_

_*ये बाते किसी गैर मुस्लिम के लिए नहीं बल्कि ये तो मुहम्मदे मुस्तफ़ा صلى الله عليه وسلم के गुलामो के लिए है जो उन पर ईमान रखते है, उनका कलिमा पढ़ते है, उनका नाम सुनकर अंगूठे चुमते और दुरुद पढ़ते है.!*_

*وما علينا إلا البلاغ المبين*

_*📝तर्जमा: हमारा काम.!*_

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Ghair muslimo ke tyohar ki mitthaee lena kaisa ❓
                            Jawab ⤵

و علیکم السلام و رحمۃ اللہ و برکاتہ

us roz yaani tyohar ke din nahi leni chahiye ke ye ek tarah se unke tyohar me shirkat hogi,

albatta tyohar ke din ke alawa lene me harj nahi

malfuzate AALA HAZRAT me hai

"us roz na le

haa!

agar dusre roz de to le le naa ye samjh kar ke un khubsa ke tyohar ki mithayi hai balke

_maale muzi nasib gaazi samjhe_"

*{ملفوظات اعلیٰ حضرت، حصہ، 1،صفحہ ،163}*


و اللہ تعالٰی اعلم
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