Sunni-Hanfi-Quran-Aur-Hadees

Quran aur hadis scenpage ke sath ilm e gaib hazir nazir namaz ka bayan noor bashar wahabi ka aitraz ka jawab eid e milad un nabi WASEELA imam ke piche surah fathiha na padhne ki dalil wahabi ka Redd Badmazhab ka radd batil firqe ka Redd ilm e gaib milad un nabi sallahu alaihi wasallam

Sawab ki Niyat Se Donet Kijiye paypal se

Name of drop-down menu

Hot Posts

Thursday, 22 November 2018

Jhoot bolne wale par Allah ki Lanat hai

Jhoot bolne wale par Allah ki Lanat hai


Jhoot bolne wale par Allah ki Lanat hai

♥ Bismillah-Hirrahman-Nirrahim ♥

♥ Al-Qur’an ♥

“ Beshak Jhooth bolane waalon par ALLAH ki Laanat hai .
– (Surah Aal-e-Imran 3:61 

'बेशक झूठ बोलने वाले पर ALLAH की लानत है|'
– (सूरह  आले इमरान  3:61 © 

"Of course, those who lie are Allah's curse"
– (Surah Aal-e-Imran 3:61 © 

✦ Hadees : Jhooth Gunaah ki taraaf le jata hai ✦

Nabi-e-Kareem (ﷺ) farmate hai “ Jhoot se bacho! bilashuba Jhooth गुनाह  ki taraf ले जाता है , और Gunah jahannum में pahunchaane waala है .”
– ( Sunan Abi Dawud 4989-Sahih )


नबी-ऐ-करीम (ﷺ) फरमाते है: “झूठ से बचो ! बिलाशुबा Jhooth गुनाह ki तरफ ले जाता है, Aur गुनाह जहन्नुम में पहुंचाने वाला Hai|”
– (सुनन अबू दावूद 4989 -सहीह )

The Prophet (ﷺ) said: “ Avoid falsehood, for falsehood leads to wickedness, and wickedness to hell.”
– ( Sunan Abi Dawud 4989-Sahih )

✦ Hadees: Jhoth bolane ka Azaab ✦

Bahut saare log munh ke bal jahannum me phenk diye jaayenge, sirf apani zuban (Jhooth) ki wajah se.
– (Tirmizi Shareef )

बहुत सारे लोग मुँह के बल जहन्नुम में फ़ेंक दिए जायेंगे, सिर्फ अपनी जबान (झूठ) कि वजह से|
– (तिरमिज़ी शरीफ )

✦ Hadees: Mazak me bhi Jhooth na bole ✦


Nabi-e-Kareem (ﷺ) farmate hai “ Main jamanat deta hun Jannat ke darmiyaan 1 Ghar ki, Us Shaksh ko jo Mazak me bhi jhooth na bole .”
– (Sunan Abi Dawud 4800 © 

नबी-ऐ-करीम (ﷺ) फरमाते है: “मैं जमानत देता हु जन्नत के दरमियान १ घर की, उस शख्स को जो मज़ाक में भी झूठ न बोले।”
– (सुनन अबू दावूद 4800)

The Prophet (ﷺ) said: I guarantee a house in the middle of Paradise for a man who avoids lying even if he were joking.
– (Sunan Abi Dawud 4800)

✦ Hadees: Jhoothi taarif Na karen ✦

Nabi-e-Kareem (ﷺ) farmate hai “ Apani Jhoothi tarif pasand Karna Sharike Haraam hai aur uss me akhirat ki barbaadi ka andesha hai.”
– (Bukhari, Muslim )

नबी-ऐ-करीम (ﷺ) फरमाते है “अपनी झूठी तारीफ पसंद करना शरीके हराम है और उस में आख़िरत की बर्बादी का अंदेशा है|”
– (बुखारी , मुस्लिम  )

✦ Hadees: Jhoot bolane waale ke liye kharabi hai ◆

“Uss Shaksh ke liye kharabi hai jo baat karate huwe logon ko hasaane ke liye jhooth bolta hai.”
– (Mishkatul Masaabih)

“उस शख्स के लिए खराबी है जो बात करते हुए लोगो को हँसाने के लिए झूठ बोलता है।”
– (मिश्क़ातुल मसाबीह )

◆ Mazaak me bhi Jhooth Bolane Wale Par Laanat hai◆

मफ़हूम-e-हदीस :- नबी-e-करीम (सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम ) ने फरमाया 
“ Laanat aur Halaqat hai us shaksh ke liye Jo logon ko Hansane ke liye Jhooth boley..”
– (Abu Dawood; 4990)

मफ़हूम-e-हदीस :- नबी-e-करीम (सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम ) ने फरमाया
“लानत और हलाकत है उस शख्स के लिए जो लोगो को हँसाने के लिए झूठ बोले”
– (अबू दाऊद; 4990)
----------------------------------------------------------


Hazrat Anas bin Maalik Radiallahu Taala Anhu Farmaate hai ke

‎مَنْ قَالَ رَسُولُ اللَّهِ – صَلَّى اللَّهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ: “مَنْ كَذَبَ عَلَيَّ حَسِبْتُهُ قَالَ: مُتَعَمِّدًا – فَلْيَتَبَوَّأْ مَقْعَدَهُ مِنْ النَّارِ”

HUZOOR RASOOLULLAH SALLAL'LAHU TA'ALA ALAI'HI WA ALA AALIHI WA SALLAM NE Farmaaya : 
Jisne Mujhpar Jaanbooch-kar Jhoot bola  Toh wo Apna Thikaana Jahannum me Banaale.

(Sunan Ibn Majaah : Hadees no 32)

Scan Page :⤵


---------------------------------------------------------

Wednesday, 31 October 2018

तलाक, हलाला और खुला की हकीकत (Talaq, Halala aur Khula Ki Hakikat)

Hamare Sunni Hanfi Jannati Barelvi Bhaiyon Ko Bhi Chahiye Ki Wo TALAQ Ki Qisme’n Aur TALAQ Dene Ka Sahi tarika malum rahe⤵

तलाक, हलाला और खुला की हकीकत (Talaq, Halala aur Khula Ki Hakikat)

हमारे सुन्नी हनफी जन्नती बरेलवी भाइयों को भी चाहिए कि वो तलाक की qisme'n  और तलाक देने का सही तरीका समझें ,वैसे तो fiqhe hanfi की किताबो में  इसके masayel bit'tafseel हैं पर awam आज कल किताबें कहाँ padhti है, या फिर किताबों का meyar इतना aalemana होता है कि लोग daqeeq अल्फ़ाज़ की बिना पर मसला ही नही समझ पाते हम, पहले  में अपमो तलाक की qisme'n आसान से आसान तार अन्दाज़ में समझ दूँ,तलाक की 3 QISME'N हैं,

 ➡1=> RAJ’EE رجعى


➡2=> BA’IN بائن


➡3=> MUGALLAZAH

Raj’ee तलाक क्या है ?

Rajee तलाक ये है कि उसे देने के बाद बीवी फौरन निकाह से बाहर नही होगी बल्कि iddat गुज़रने के बाद निकाह से बाहर होगी। और iddat के अंदर वापस लेना चाहें तो ले सकते हैं नए (new) निकाह की भी ज़रूरत nahi, (तलाक की iddat 3 haiz/M.C आना है),
अगर haamelah है तो बच्चा पैदा होते ही iddat खत्म हो गई चाहे जब पैदा हो, अगर नाबालिग है या 55- year's से ऊपर है जिसे haiz न आता हो तो इम दोनों के लिए iddat 3-month है, चंद की तारीख के हिसाब से)
Wazahat-जो लोग समझते है कि
1-तलाक Rajee है और 2-ba'in वो गलती पर हैं
1 भी Rajee है और 2 भी Rajee है, मतलब जिससे बगैर naye निकाह के Rujoo किया जा सके फिर से उसे निकाह की ज़रूरत नही,,

गुज़ारिश:-तलाक के मसाईल बहूत बारीक और ahem हैं उसके लिए आप fiqhe hanfi की उर्दू में मशहूर किताब क़ानून शरीअत या बहरे शरीअत पढ़ें और हो सके तो किसी सुन्नी अलीम के सामने पढ़ के समझें औए ziydah बेहतर ये है कि आप तलाक के मसाईल अपने राब्ते के किसी mustanad सुन्नी हनफ़ी बरेलवी आलिमे दीन से पूछें।
में ने hattle imkaan कोशिस की है कि मसले को आसान से आसान अंदाज़ में समझाऊं फिर भी कोई बात समझ मे न आये तो ज़रूर किसी सुन्नी से rujoo करें,

Ba’in तलाक किया है.?
तलाक की दूसरी qism ba'in है, इसके मतलब ये है कि बीवी fauran निकाह से बाहर हो जाये, ए.बी.ए. अगर उसी बीवी को रखना है तो naya निकाह naye महेर के साथ करना होगा, अगर औरत दूसरे से निकाह करना चाहे तो उसे iddat पूरी करनी होगी,

तलाक ba'in कैसे पढ़ते है,,?

साफ कह की में ने तुम्हे तलाक ba'in दी। या गुस्से के आलम में जा,चल,निकल रास्ता नाप,घर खाली कर, रवाना हो,दफा हो,बिस्तर उठा, wagerah ये सब अलफ़ाज़ तलाक की नीयत से कहे तो तलके  ba'in waaqe होगी,

MUGALLAZAH तलके किया है..?
तलके की तीसरी qism MUGALLAZAH है, यानी 3 तलाक अब चाहे एक साथ दे या अलग अलग अब इस surat में औरत को वापस रखना चाहे तो बिना halalah किये नही रख सकते.

Wazahat:- तलाक के साफ अलफ़ाज़ कहे जैसे तुझे तलाक दी, 1 या 2 बार कहे तो ये तलके Raj’ee है, aisi surat में बीवी को वापस रखने के लिए bosa लिया या अकेले में मुलाक़ात की या कहा मैं ने तुम्हे वापस लिया तो निकाह बाकी रहेगा. Han बेहतर है कि जब वापस लेना हो तो कम az काम 2 gawah ज़रूर बना ले ये बेहतर है और tohmaton से बचने  वाला है,और अगर वापस न लेना हो  छोड़े देना हो तो iddat गुज़रने दे अब वो खुद ब खुद निकाह से बाहर हो जायेगी,

तलाक की Qisme'n मालूम होने के बाद ये भी मालूम करना चाहिए कि तलाक दिया कैसे जाए
Awwal तो be'wajhe shar'ee तलाक दी ही न जाये लेकिन जब देना हो तो बेहतर तरीका कप अपनाया जाए,

तलाक देने के 3 तरीके हैं:-

=> AHSAN (احسن)

=> HASAN (حسن)

=> BID’EE (بدعی)•

तलके ahsan (सब से बेहतर तरीका) haiz के बाद paaki के दिनों में बीवी से हमबिस्तरी न करे और एक तलाक दे कर chhod दे,iddat पूरी होने पर बीवी खुद निकाह से बाहर हो जायेगी..
अब इसमे option ये है कि अगर उसी को रखना चाहे तो iddat से पहले उससे rujoo करे या कह कर की तुम्हे निकाह में रखता हूँ, या bosa(kiss) ले कर या अकेले में मुलाक़ात कर के, अगर iddat पूरी हो गई तो अब use rakhna चाहते है तो बीवी से naya (new) निकाह naye maher पर करे, अगर नही रखना तो बीवी दूसरे से निकाह कर सकती है।

तलके hasan (बेहतर,thik) ये है कि haiz आने के बाद paaki वाले दिनों में बिना हमबिस्तरी किये एक तलाक दे, फिर दूसरे बार haiz आये फिर paaki के दिनों में बिना सोहबत (sohbat) किये दूसरी तलाक दे, तीसरी बार paaki के दिनों में बिना सोहबत तीसरी तलाक दे, अब बीवी निकाह से बाहर हो गई, अगर उसे रखना हो तो iddat के बाद halalah के बिना नही रख सकता।

तलके BID’EE (बुरा तरीका,naya तरीका) ये है कि haiz की हालत में तलाक देने, ये paaki के दिनों में 3-तलाक एक साथ देना, या paaki के दिनों में सोहबत किया और फिर तलाक दी,

(ماخوذ از- کتب فقہ حنفی)

पहले हम तलाक की Qism'en zikar करे, फिर तलाक का तरीका बताये जो बेहतर तरीका है)

तलके AHSAN (उसपे अमल किया जाये अल्लाह ने करे कभी aisa वक़्त आये तो. तलाक के मसाईल इस qadar हैं कि उसके लिए अच्छा खासा दफ्तर चाहिए,ये हमारा mauzu नही है, बस Ijma'lan ज़िक्र कर दिया , mauzu की munasibat से, ताकि इस पोस्ट के पढ़ने वालों को सही मसले का इल्म हो, अब Aaiye अपने असल mauzu की तरफ की)
3 तलाक चाहे एक साथ दे या 3 tahar (paaki) में वो 3 ही है 1 नही बीवी को shohar बिना halalah किये अपने निकाह में नही रख सकता, alhamdulillah इस पार ahnaaf का mauqaf क़ुरान O सुन्नत के मुताबिक o mawafiq है,

Dalayel Mulahazah फरमाये:- अल्लाह पाक ने इंसानो में कुछ रिश्ते aise बनाये हैं जो इंसानो के तोड़ने से भी नही  toot ते, जैसे माँ बाप औलाद का रिश्ता, भाई भाई का रिश्ता wagera, और कुछ रिश्ते इंसानो ने खुद बनाये हैं और जब इन रिश्तों में kadwahat आजाये तो इसे अहसान तरीके से तोड़ने का तरीका भी इस्लाम मे मौजूद है, जैसे मिया बीवी का रिश्ता जो निकाह के zarye Qai'm होता है और तलाक के ज़रिए toot जाता है yahudi मज़हब में शोहर जितनी बार चाहे तलाक  दे सकता है और फिर उसी बीवी को रखना चाहे तो रख सकता है उनके yahan तलाक की कोई tehdeed(had) नही ,और esai मज़हब में तो तलाक jayez ही नही है, जिसे एक बार शादी हो गई अब उसी के साथ पूरी ज़िंदगी गुज़रना है.

Iskebar'khilaf इस्लाम ने 1 और 2 तलाक के बाद बीवी को रोकने का haq दिया है जबकि 3 तलाक देने के बाद बिना halalah किये वो use नही रख , chahe 3-तलाक 3 -tohar (paaki की halat) में दे,हो या 3 haiz में या एक साथ 3 दे हो बाहर haal वो तलके MUGALLAZAH है जिससे  निकाह toot गया, हैं ये है कि एक साथ 3-तलाक देने सख्त mana और bura है।
जैसे कि हादसे पाक में हुज़ूर ﷺ का इरशाद maujood है:-
हदीस-E-Nabwi:- हुज़ूर ﷺ तक ये खबर paonchi की एक शख्स ने अपनी बीवी को एक साथ 3-तलाक दी, इसे सुन कर आप gusse में khade huye और ये फरमाये की अल्लाह की किताब से khel करता है? Halaki में तुम्हारे अंदर अभी maujood hun

📚{سنن النسائي، کتاب الطلاق، حدیث نمبر-٣٣٩٨}

3-तलाक एक साथ देना सख्त mana और gunah है लेकिन कोई दे दे तो इसमें किसी इमाम का कोई इख़्तेलाफ़ नही की एक majlis की 3-तलाक 3 नही balki एक है,
हुज़ूर ﷺ के ज़माने पाक से 7wi sadi hijri तक इस मसले में अहलेसुन्नत व जमात का कभी इख़्तेलाफ़ हुआ ही नही , इसमे yahudi और shiyon के बाद इख़्तेलाफ़ करने वाला ibne taimiyah और उसके shagird ibne Qaiyyim है जिन्हें इस मसले में गलत raah चलने की बिना पर अपने शहर से मार कर निकाल गया , अब ibne taimiyah की baasi kadi में ubaal आज कल के अंग्रेज़ी मुजतहिद yaani gair muqallideen ला रहे हैं।
Hai
हुज़ूर गौसे पाक शेख अब्दुल कादिर जिलानी
رضی اللہ تعالٰی عنہ
 फ़रमाते हैं, 3 तलाक के बाद भी बीवी को रखने का riwaj yahudiyon में है उनसे ये मसला Rawafiz (shiyon) ने लिया

📚(غنیة الطالبين، صفحہ نمبر-١٧٢}
Yahudiyon और shiyon की pairwi करते हुए gair muqallideen ने भी एक मजलिस की 3 talak को 3 manne से इनकार किया yaani किया और पूरी उम्मत के 1450 saala ijma को thukra कर उसे 1- तलाक maane और बीवी के निकाह में बाकी होने का फरमान जारी किया, yaani क़ुरान के मुताबिक अब जो औरत बिना halalah किये jaiz न थी उसे haramah के zarye इन अंग्रेज़ी mujtahideen ने  jaiz किया। अल्लाह ﻋﺰﻭﺟﻞ आप पर फ़ज़ल फरमाये!

--------------------------PART 2⃣-----------------------------

Talaq /Divorce Ka Bayan Quran Wa Hadees Se



➡ Nikah Ek MUQADDAS islami Rishta Hai Jisse Ek Musalman Mard Ke Liye Ajnabi Muslaman Aurat Halal Ho Jati Hai Aur Ab Shohar Ko Jayez Andaaz Me Apni Khawahishaat Ko Bhi Poora Karne Ka Zarya Mil Jata Hai.Nikah Ke Zarye Aurat Shohar Ki Paband Hoti Hai, Is Pabandi Ko Khatm Karne Ka Naam TALAQ Hai. TALAQ Ke Kuch Alfaaz Muqar’rar Hain,

TALAQ Ke Ta’alluq Se Quran O Hadees Me Jo irshadaat Aaye Hain Pehle uska Zikr Ho Phir Mukhtasaran TALAQ Ki Qisme’n Aur Surten Aur Hukm Bayan Hoga Phir Nafse Mauzu Par (3-TALAQ KI TEHQEEQ Par)

BAAT Tafsili Hogi.ALLAH Pak Apni MUQADDAS Kitab Me Farmata Hai

.ٱلطَّلَٰقُ مَرَّتَانِ ۖ فَإِمْسَاكٌۢ بِمَعْرُوفٍ أَوْ تَسْرِيحٌۢ بِإِحْساَٰنٍ

➡  ۗTarjamah-TALAQ Jo 2 Baar Tak Hai, )

↘ Yani Jisse Biwi ko Bagair Naya Nikah Kiye Rakha Ja Sakta hai( Phir Bhalai Ke Sath Rok Lena)Yani Bagair Naye Nikah Ke Hi( Ya Nikoi )Bhalai( Ke Sath Chhod Dena……..

*☪ (قرآن کریم، سورہ بقرہ، آیت نمبر-229، ترجمہ کنزالایمان، از- اعلی حضرت علیہ الرحمہ)*

↪ Phir ALLAH Ta’ala Farmata Hai

.فَإِن طَلَّقَهَا فَلَا تَحِلُّ لَهُۥ مِنۢ بَعْدُ حَتَّىٰ تَنكِحَ زَوْجًا غَيْرَهُۥ ۗ فَإِن طَلَّقَهَا فَلَا جُنَاحَ عَلَيْهِمَآ أَن يَتَرَاجَعَآ إِن ظَنَّآ أَن يُقِيمَا حُدُودَ ٱللَّهِ ۗ وَتِلْكَ حُدُودُ ٱللَّهِ يُبَيِّنُهَا لِقَوْمٍ

 يَعْلَمُون

َTarjamah- Phir Agar 3ri TALAQ Use  Dee To Ab Aurat Halal Na Hogi, Jab Tak Dusre Shohar Ke Pas Na Rahe, Phir wo Dusra Agar Use TALAQ De De To in Dono Par Gunah Nahi Ki Apas Me Mil Jayen )Ab Pehla Wala Usse  Nikah Kar Sakta Hai( Agar Guman Ho Ki Allah Ki Hadon Ko Qa’im Rakhenge, Ye Allah Ki Hade’n Hai Jo Wo Bayan Farmata Hai Samajhdaron Ke Liye

☪ (پارہ نمبر-٢، سورہ بقرہ آیت نمبر-٢٣٠}

Qari’een )Padhnewale( Gaor Kijiye Gair Muqallideen Halala Ko Ayyashi Aur Haram Kehte Hain Jab Ki Halala Quran Se Sabit Hai, Gair Muqallideen Sirf Hadees Hi Ke Dushman Nahi Balki Quran Ke Bhi Dushman Hain…

Kisi Aurat Ko Uska Shohar TALAQE MUGALLAZAH (3 TALAQ) De Ab Wahi Shakhs Us Aurat Se Nikah Karna Chahe To Uski Yahi Surat Hai Ki Aurat iddat Guzarne Ke Bad Kisi Dusre Se Nikah Kare Aur Jab Wo Use TALAQ Dega To iddat Guzarne Ke Bad Ye Pehla Usse Nikah Kar Sakta Hai, Halala isi Ko Kehte Hain Lekin Gair Muqallideen ise Haram Kehte Hain Aur Ye To Quran Hi Se Sabit Hai, Bechare Gair Muqallideen Halala Ko GALAT Keh Kar 3 TALAQ Ko Ek MaanKar (Jab Ki 3 TALAQ Par Biwi Nikah Se Nikal Gai) Logon Se Haram Kaari Karwate Hain, isi Liye Hanafi Halalah Ke Hain To Gair Muqallideen Haramah Ke.Jaise Nikah Mard-O-Aurat Ko Paband Karta Hai Waise Hi TALAQ Us Pabandi Ko Utha Deta Hai, TALAQ Ka Tasauwwur(Imagining) islam Ke Siwa Kisi Mazhab Ne Nahi Diya, Aaj Digar Mazahibwale Jo Talaq Se Faidah Utha Rahe Hain Wo islam Hi Ki Den Hai.TALAQ Ek Jayez Amal Hai Lekin Us Surat Me Jab Miya Biwi Ke Rishte Me is Qadar Kad’wahat Aajaye Ki Baat Kisi Surat Se Na Banti Ho To Shari’at Ne Hum Par Ye Aasani Ki Ke TALAQ (Azadi) Ka Rasta Banaya, Jisse Ye Dono Alag Ho Sakte Hain, Phir Ye Apni Marzi Ke MUTABIQ Kisi Dusre Se Nikah Ke Mamle Me Aazad Hain, Par Aaj Kal Baat Be Baat Talaq Dene Ka Riwaj Nikla Hai Aur Zara Bhi Koshish Nahi Ki Jati Ki Baat Ban Jaye, Koi Gusse Me TALAQ De Raha Hai, Koi Nashe Me, Koi Dahej Ke Liye, To Koi Biwi Se Chhutkara Paane Ke Liye, TALAQ Agarche Eik Jayez Amal Hai Par ALLAH Paak Use Pasand Nahi Farmata, Bila Sakht Shar’ie Zarurat Ke TALAQ Nahi Dena Chahiye, TALAQ Ke Silsile Me Chand Ahadise Pak

Padhiye. ⤵

🔮 HADEES-Huzoor صَلّی اللّه عَلَیہِ وَسَلّم Farmate Hain ibless Apna TAKHT Pani Par Bichhata Hai, Aur Apne Lashkar Ko Bhjeta Hai (Logon Ko Burai Ki Taraf Ma’il Karne Ke Liye) Aur Sab SeZada Martabah Uske Nazdeek Uska Hai Jisne Bada Fitna Kiya Ho, Har Koi (Jska Chela) Aakar Apni Kaarguzari Sunata Hai Wo Kehta Hai Tune Kuch Nahi Kiya (Bada Kaam) Ek Kehta Hai Mai Ne Mard-O-Aurat Me Judai Daal Dee, To Use Apne Qareeb Kar Leta Hai Aur Kehta Hai Haan Tu Hai (Jisne Mujhe Khush Kiya)

📚 {مسند الإمام أحمد بن حنبل، جلد-٥، صفحہ نمبر-٥٢}

📃 HADEES:Hazrat Mu’aaz Riwayat Karte Hain Huzoor صَلّی اللّه عَلَیہِ وَسَلّم Ne Farmaya:”Aye Mu’aaz ! Koi Cheez ALLAH Pak Ne Roye Zameen Par Gulam Azad Karne Se Ziyadah Pasand Nahi Ki, Aur Koi Cheez TALAQ Se Ziyadah Na’pasand Nahi Ki

📚 {سنن الدار قطنی، کتاب الطلاق، جلد-٤، صفحہ نمبر-٤٠}

Har’chand Ki TALAQ Jayez-O-HALAL Amal Hai Par Jo Bila Wajah Ho Wo ALLAH Pak Ki Narazgi Aur Gazab Ka Sabab Hai, Chunanche Ek Hadees Me Aaya Hai

📝 *HADEES:* Hazrat IBNE Umar رضی اللہ تعالٰی عنہما Se Riwayat HaiKi Huzoor صَلّی اللّه عَلَیہِ وَسَلّم  Ne Farmaya,Tamam Halal Chizon Me ALLAH Ke Nazdeek Ziyadah Na’pasand TALAQ Hai

*📚{سنن ابی داؤد، کتاب الطلاق، باب کراهية الطلاق، جلد-٢، صفحہ نمبر-٣٨٠، الحديث- ٢١٨٧}*

📃 Musalmano Ko Chahiye Ki ALLAH Wa Rasool صَلّی اللّه عَلَیہِوَسَلّم Ke Irshadaat Ko Sune Aur Uspe Amal Kare Aur Nafs-O-Shaitan Ke Fareb Me Na Aayen.Wo Aurat Jo Bila Wajah Apne Shohar Se TALAQ Ki Demand Karti Hai Aur Wajah Bahot Mamuli Hoti Hai, Jaise Shohar Ki Kamai Se Uske Arman Na Pure Hona, Ya Sasural Me NA CHALI, WAQT Ke Sath Mamlaat Theek Ho Jate Hain Aur Zara See Koshish Ki Jaye To Ghar Ko Amn-O-Sukoon Ka Gehwara Banaya Ja Sakta Hai Phir iske Liye TALAQ Lene Ki Kya Zarurat Hai?Aisi Aurten Huzoor صَلّی اللّه عَلَیہِ وَسَلّم Ka Ye Pak Farman Khoob Zahen Nasheen Kar Le’n.

📝 *HADEES:* Huzoor صَلّی اللّه عَلَیہِ وَسَلّم Ne Farmaya Jo Aurat Ba’gair Kisi Harj Ke Shohar Se TALAQ Ka Sawal Kare uspe Jannat Ki Khushbu Haram Hai


*📚{جامع ترمذی، جلد-٢، صفحہ نمبر-٤٠٣، حدیث نمبر-١١٩٠}*

Monday, 29 October 2018

Sohbat (Sex) Ka Islami Tariqa Aur Masail

   Sohbat (Sex) Ka Islami Tariqa Part-1
Sohbat (Sex) Ka Islami Tariqa सोहबत करने का इस्लामी तरीक़ा :

Humbistari ke masail


सोहबत (sohbat) यानी (meaning) शोहर ओर बीवी (husband and wife) के बीच jinsi मेल मिलाप या jinsi राबिता को कहा जाता है
सोहबत एक उर्दू लफ्ज़ है जिसको हमबिस्तरी mubashrat arabic में jima Ya al-jima, हिंदी में संभोग और इंग्लिश में intercourse ओर copulation भी कहा जाता है

हज़रत इब्ने अब्बास रादिअल्लाहुअन्हु से रिवायत है कि हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम ने इरशाद फरमाया , गवाहों (gawaho)के बगैर nikhah करने वाली औरते जानिए (zina karnewali) हैं

(तिर्मिज़ी शरीफ जिल्द 1 , साफ 563, हदीस no 1095 बाबा no 751)

हुज़ूर सैयदना गौस ए आज़म शेख अब्दुल कादिर जिलानी रादिअल्लाहुअन्हु फ़रमाते है, निकहा जुमेरात (Thursday) या जुम्मा (friday) को करना musthab  है और सुबह की बजाए शाम के वक़्त निकहा करना बेहतर है

(Gunyatuttalebin, बाबा No 5 साफ :115)

जिस किसीने सोहबत की बाते लोगो मे बयान की सकक मिसाल aisi है जैसे शैतान औरत शैतान मर्द से मिला और लोगो क्व आमने ही खिले आम सोहबत करने लगे.

(Abu dawood ,जिल्द:2 हदीस No ,407,साफ :155 बाबा no: 127)

आक़ा सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम ने इरशाद फरमाये अल्लाह की लानत bad निगाही करने वाले पर और जिसकी तरफ bad निगाही की जाए

(Bayhaqi शरीफ , मिश्क़त शरीफ, जिल्द:2 साफ :77)

हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम ने इरशाद फरमाये " तुम में से जो कोई अपनी बीवी के पास जाए तो पर्दा कर ले और गधे की तरह न शुरू हो जाये,"

(इब्ने maja जिल्द1 साफ 538, हदीस no 1990 बाब no 616)

Ummul मोमिनीन हज़रत आयेशा सिद्दीक़ रादिअल्लाहु'अन्हा  से रिवायत है कि हज़ूर सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम ने इरशाद फरमाये " जो मर्द अपने बीवी का हाथ उसको बहलाने के लिए पकड़ता है अल्लाह ta'ala उसके लिए 1 नेकी लिख देता है,जब मर्द प्यार से औरत के गले मे हाथ डालता है उसके हक़ मव 10 nekiya लिख जाती है, और जब औरत से सोहबत करता है तो दुनिया और जो कुछ उसमे है उन सबसे बेहतर हो जाता है

[Gunyatuttalebin साफ 113] 

हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहुअलैहीवसल्लम ने फरमाया, पाखाने (piche ka mukam)की जगह औरत से सोहबत करना हराम है हज़रत मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम) ने फरमाये जिसने औरत या मर्द से उसके पीछे के मुकाम से सोहबत की उसने यकीनन कुफ्र किया.

[Abu Dawood शरीफ] 

हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहुअलैहीवसल्लम ने फरमाये, अल्लाह क़यामत के दिन ऐसे शख्स की तरफ नज़रे रहमत  नही फरमाएगा जिसने अपनी औरत के पीछे के रास्ते से सोहबत (sohbat) की


[ बुखारी शरीफ , तिर्मिज़ी शरीफ ,Ibne maja शरीफ] 

Note:- इसीलिए बीवी के साथ जानवरो जैसे काम न karen short में मेरा मतलब है कि porn movies जैसे कुछ न करें। बल्कि सिर्फ इस्लामी तरीका से साथ में सोइये।


Sohbat/ humbistari का तरीका और दुआ:


शादी (निकाह /wedding) शादी करना सुन्नत है और दीन-ए-इस्लाम का एक हिस्सा है। इसीलिए हर इन्सान को शादी करना चाहिए। बग़ैर किसी जाइज़ वजह के अगर कोई शादी नही कर रहा या देरसे कर रहा है तो ये इस्लाम के खिलाफ है
जिन लोगो की शादी होनेवाली होती है, उनमे से बहुत से लोगों के दिमाग में कुछ सवाल होते हैं कि इस्लाम के हिसाब से शादी के बाद कि पहली रात को किया करना चाहिए, या इसका सही तरीका किया है।
हुम् यह पहली रात की कुछ बात करेंगे
लेकिन ये बात सिर्फ इस्लामिक  तरीके सीखने की नीयत से पढिये
दिल में कुछ गंदगी न रखिये और न कोई गलत कमेंट करें।
हमारा मकसद सिर्फ उन लोगों को इस्लामिक तरीका बताना है जिनको इस बारे में मालूमात काम है

Nikhah /शादी की पहली रात की दुआ और तरीका:


शादी के बाद जब लड़का रूम में जाये,
तो सबसे पहलेे सलाम करें,खेरियत मालूम करे और थोड़ी बात करने के बाद लड़की के पेशनो (forehead) के बाल सीधे हाथ आहिस्ता से पकडलिये और ये दुआ पढ़े,
Hazrat muhammad sallallahu alaihiwasallam ne irshad farmaya " jab koi shaks nikah kare aur pahli raat ko apne dulhan ke pas jaye to narmi ke sath uski peshani ke थोड़े से बाल अपने सीधे हाथ मे ले कर (पकड़ कर) यह दुआ पढ़े 

(“Allahumma in’ni as’a’luka min khai’riha wakhai’ri ma fiha wakhairi
ma jabalta’ha alai wa a’udhu bika min
shar’riha washar’ri ma fiha wa sharri
ma jabalta’ha alai”)

तर्जुमा: आये अल्लाह में तुजसे इसकी (अपनी बीवी की) भलाई और खैर o बरकत मांगता हूं और उसकी फ़ितरी आदतों की भलाई और तेरी पनाह चाहता हूं इसकी बुराई और फ़ितरी आदतों की बुराई से।

📚(अबु dawood :जिल्द 2,पेज 150 ,hasne hasin :पेज 164)

📚(बुखारी शरीफ , जिल्द 3 साफ 473)

पेशानी के बाल पकड़ कर दुआ करने से पहले अपनी बीवी को ये बता सकते है  कि ये हमारे आक़ा हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का हुक्म है, वरना जिस लड़की को नही मालूम हो वो कुछ गलत सोचने लगे,इसके बाद अगर वुज़ू न किया हो तो वज़ू कर लीजये
और 2 रकत नफ्ल अल्लाह का शुक्र अदा करने और उससे दुआ करने के लिए पढिये,नमाज़ इस तरहा पढिये (जमात बना कर) की लड़का आगे इमाम बन कर खड़ा हो और लड़की उसके पीछे खड़े हो जाये। दोनों साथ मे नमाज़ पढ़े,

नामज़ की नीयत: नियत की मैंने 2 रकत नमाज़ नफिल शुकराने की वास्ते अल्लाह ta'ala के रुख मेरा काबा शरीफ  के तरफ अल्लाह o अकबर,
फिर हमेशा जैसे नमाज़ पढ़ते हो वैसे ही नमाज़ पढ़े और नमाज़ के बाद शादी साथ kheriyat से होने के लिए अल्लाह  का शुक्र को कामयाब banye,आगे भी हंसी-खुशी रखे, बच्चे नेक दें, और इस तरह भी दुआ कर सकते हैं, " aye allah तेरा शुक्र और एहसान है को तूने हमे ये दिन दिखया और हमे इस खुसी व न'अमात से नवाजा और हमे अपने हबीब सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम की सुन्नत पर अमल करने की तौफ़ीक़ आता फरमाई,
आये अल्लाह हमारी इस खुशी को हमेश इसी तरह कायम रख, हमे मेल-मिलाप प्यार मुहब्बत के साथ ज़िन्दगी गुजरने की तौफ़ीक़ आता farma, या rabbul aallameen हमे नेक farmabardar औलाद आता farma,
आमीन
(Awwal aakhir durood)

और इसके अलावा जो भी आप शादी की kaamyabi के लिए दुआ करना चाहते है कर सकते हैं, दुआ के पहले और आखिर में दुरूद शरीफ  पढ़ लीजये,
नमाज़ के बाद किसी भी काम में जल्द-बाज़ी न करे बल्कि लड़की से इस तरह बात करिये की उसकी थोड़ी झिझक दूर हो jaaye।
थोड़े अपने बारे में बात करिये थोड़ा उनकी सुनिए,जब लड़की की थोड़ी झिझक दूर हो जाये तो और आप साथ में सोने का इरादा करें तो उससे पहले ये दुआ पढ़ लीजये

(“Bismillah, Allahumma jannib
nash Shaitana, wa Janni bish-Shaitana ma razaq tana”)

तर्जुमा: 
"अल्लाह के नाम से आये अल्लाह दूर कर हमसे शैतान मरदूद को और दूर कर शैतान मरदूद को उस औलाद से जो तू हिमे आता करेगा"

"जो शख्स इस दुआ को sohbat के वक्त पढ़ेगा
(दुआ वही जो upar लिखी है)

तो अल्लाह उस पढेवाले को अगर औलाद आता फरमाये तो उस औलाद को शैतान कभी भी नुकसान न पहुंच सकेगा।"
(बुखारी शरीफ जिल्द 3, साफ 85,
तिर्मिज़ी शरीफ जिल्द1 ,साफ 557)

Note: ये याद रखिये को जो पेशानी के बाल पकड़ कर दुआ करना है वो सिर्फ पहली रात में ही पढना है और एक ही बार पढना है,लेकिन ये वाली दुआ

(“Bismillah, Allahumma jannib
nash Shaitana, wa Janni bish-Shaitana ma razaq tana”)

आपको हमेशा पढ़नी है।
जब भी बीवी के साथ सोने का इरादा हो
उससे पहले इस दुआ को पढ़ले👆👆

हुज़ूर गौसे आज़म सैयदना शेख अब्दुल क़ादिर जिलानी wa हज़रत muhkkike इस्लाम शेख अब्दुल हक़ mohoddas देहलवी और आला हज़रत अहमद राज़ खान इरशाद फरमाते है," अगर कोई शख्स सोहबत के वक़्त दुआ न पड़े तो उस शख्स की sharmgah से शैतान  lipat जाता है और उस मर्द के साथ शैतान भी उस औरत से सोहबत करने लगता है, और जो औलाद paida होती है woh na फरमान ,बुरी आदतवाली ,begairat,bad-दीन होती है, शैतान की इस दखल अंदाजी की वजह से औलाद में तबहकारी आ जाती है"
(Gunyatuttalebin साफ 116, Fatwa-E-Razviya, जिल्द 9, साफ 48)

Inzal (मानी निकलते वक्त ) की दुआ:
जिस वक्त inzal हो यानी मर्द की mani उसके uzoo-E-tanasul से निकल कर औरत की sharmgah में दाखिल होने लगे उस वक़्त दिल मे हक दिलमे ये दुआ पढ़े 

"Allahumma-La-Taja'al Lish Shaitane Fi-M-Razkatni Nasi-ba"

तर्जुमा:- "आये अल्लाह शैतान के लिए हिस्सा न बना उसमे जो (aulad) तू हमे आता करे"

( हिसने हसीन साफ : 165, Fatwa-E-Razviya जिल्द 9, साफ 161)



निकाह के ta'alluk से chand हदीस:-

Nikah darhikkat ak ayesa talluk hai jo aurat mard ke darmiyan ak paak daman  rishta hai jo marne ke baad bhi zinda rahata hai balke  nikah hai hi isliye ke logo ke darmiyan  muhabbat kayam rah Sake,  jaise nabi sallallahu alaihe wasallam ne farmaya hadees:- हज़रत अब्दुल्लाह बिन अब्बास (रज़ी अल्लाहु अनहु) se riwayat hai ki RASOOL ALLAH sallallahu alaihe wasallam ne farmaya - ke aapas me muhabbat rakhane walon ke liye nikah jaise koi dusri chiz nahi dekhi gai

Reference-(Ibn maja)

Hadees नबवी se sabit hai ke nikah aurat mard ke sath- sath  darasal 2 khandan ka bhi rishta hota hai jo nikah ke baad kayam hota hai! Iske awwal to ye fayda hota hai ke agar ak mard aurat ki nikah se phale muhabbat me ho to gunah ke इमकान hai lekin agar unka nikah kar diya jaye to gunah ka इमकान nahi rahata . Dusari unki muhabbat hamesha ke.liye nikah me tabdil ho jati hai jo jaiz hai sath hi do alag-alag khandan apas me ak dusare se वाकिफ़ hote hain aur ak naya rishta कायम hota hai. Muhabbat ke sath-sath nikah नफ़्स insan ke sukun ka bhi zariya hai. Jis se  insan sukun aur fayda hasil karta hai!

ALLAH Qur'an me farmata hai:-
AlQur'an: aur usi ki nishaniyan me se ak ye hai ki usne tumhare liye tumhi me se biwiya paida ki taki tum unke sath rah kar sukun  hasil kro aur tum logo ke darmiyan pyaar aur उलफ़त paida kar di. Isme shak nahi गौर karne walon ke liye yakinan bahoot si nishaniyan hai


(सूरह रूम Surah number 30 aayat number 21)

---------------------PART 1 END--------------------


Sohbat Sex Ka Islami Tariqa Part-2 | हमबिस्तरी का इस्लामी तरीका hindi



Sohbat karne ka islami tarika:  आज हम इस article में आप से share करेंगे सोहबत का इस्लामी तरीका सोहबत के मसाईल हमबिस्तरी के मसाईल जिम का इस्लामी तरीका  मबशर्त का तरीका और दीगर मसाईल हदीस शरीफ की रोशनी में:

Biwi se milane ka shariyat me tarika pura zaroor padhe:


Adab e sohbat (जिमअ) tallukaat ka bayan:

Miya biwi ke talluk se kuch ayese masail hai jinka janna unko zaroori hai magar wo nahi jante kyun, kyunke kitab ham padhte nahi aur alim se puchne me hame sharam ati hai magar ajib baat hai ki masail  puchne me to ham sharam ati hai magar wahi gairat us wakt mar jati hai jab dulha apne doston ko aur dulhan apne shailiyon ko puri raat ki kahani sunte hai khair, ye artical save karke rakhe aur apne doston aur azizon me jinki shadiya ho unhe taufe ke taur par ye article send karen..

Hazrat imam गज़ाली रज़ियल्लाहु तआला अन्ह farmate hai ki जिमअ yani sohbat karna jannat ki lazzaton me se ak lazzat hai


[कीमियाये सआदत,safa 496]


Hazrat जुनैद बग़दादी रज़ियल्लाहु तआला अन्हु farmate hai ki insan ko जिमअ ki ayesi hi zaroorat hai jaise Giza ki kyunki biwi dil ki तहारत ka sabab hai


[अहयाउल उलूम,jild 2,safa 29]


Hadees e pak me ata hai ki jis tarah haram sohbat par gunah  hai usi tarha jaiz sohbat par nekiyan hai.


[मुस्लिम,jild1, safa 324]


उम्मुल मोमेनीन सय्यदना आयशा सिद्दीका रज़ियल्लाहु तआला अंहा se मरवी hai ki huzur sallallahu alaihi wasallam irshad farmate haai ki jab ak mard apni biwi ka hath pakadata  hai to uske नामये आमाल me ak neki likh di jati hai aur jab uske  gale me hath dalta hai to 10 nekiya likh di jati hai aur jab usse sohbat karta hai to duniya aur माफीहा se behtar ho jata hai  aur jab gusul janabat karta hai to pani jis jis bal par guzarta hai to har bal ke badle ak neki likhi jati hai. Aur ak gunah kam Hota jata hai aur ak darja buland hota jata hai


[गुनियतुत तालेबीन,safa 113]


Hazrat अब्दुल्लाह इब्ने मसऊद रज़ियल्लाहु तआला अन्हु से  ak shaks ne arz kiya ke maine jis ladki se shadi ki hai mujhe lagta hai ke wo mujhe pasand nahi karegi to app farmate hai ke  muhabbat khuda ki taraf se hoti hai air nafrat shaitan ki taraf se to ayesa kro ki jab tum pahli bar uske pas jao to दोनों wazu aur 2 rakat namaz nafil shukrana is tarah padho ki tum  imam ho aur wo tumhari इक़्तिदा kro to inshaALLAH  tum usse muhabbat aur वफा karne wali paoge


[गुनियतुत तालेबीन,safa 115]


Namaz ke baad shohar dulhan ki peshani ke thode se bal narmi aur muhabbat se pakad kar ye dua padhe


 अल्लाहुम्मा इन्नी असअलोका मिन खैरेहा वखैरे मा जबलतहा अलैहे व आऊज़ोबेका मिन शर्रेहा मा जबलतहा अलैह


To namaz aur is dua ki barkat se miya biwi darmiyan muhabbat aur उल्फत kayam hogi inshaALLAH


[अबु दाऊद,SAFA 293]

Khas जिमा ke waqt baat karna मकरूह hai isse bache ke totale hone ka khatra hai usi trha us waqt  aurat ki sharamgah ki taraf nazar karne se bhi bachna chahiye ki bacha andha hone ka अमकान hai युंही bilkul barhna bhi sohbat na kare warna bacha be-haya hone ka andesha hai


[फतावा रज़वियह,jild 9,safa 46]


Humbistari ke waqt बिस्मिल्लाह sharif padhna sunnat hai magar yaad rahe ki satar kholane se phale padhe aur sabse behatar hai ki jab kamre me dakhil ho tab hi बिस्मिल्लाह sharif padh kar दायां क़दम  andar dakhil karen agar hamesha ayesa karte rahenge too shaitan kamre se bahar hi ठहर jayega warna wo bhi apke sath sharik hoga


[तफसीरे नईमी,jild 2, safa 410]


Ala hazrat farmate hai ki aurat ke andar mard ke mukabale 100 गुना zada शहवत hai magar us par haya ko मुसल्लत kar diya gaya hai to agar mard jaldi फारिग ho jaye to फौरन apne biwi se juda na ho balke kuch deer ठहरे phir alag ho


[फतावा रज़वियह,jild 9,safa 183]


जिमअ ke waqt kisi ka तसव्वुर karna bhi zina hai aur sakht gunah aur जिमअ ke liye waqt 

मुकर्रर nahi han bus itna khayal rahe ki namaz,roza,एहराम,एतेकाफ,हैज़ व निफास, aur namaz ke ayese waqt me sohbat karna ki namaz ka waqt nikal jaye haram hai

[फतावा रज़वियह,jild 1, safa 584]


Mard ka apne aurat ki छाती ko मुंह lagana jaiz hai magar is tarah ki doodh halak se niche na utre ye haram hai, lekin ayesa ho bhi gaya to tauba kare magar isse nikah par koi farak nahi ata


[दुर्रे मुख्तार,jild 2,safa 58]

[फतावा रज़वियह,jild ,safa 568]

Mard वा aurat ko ak dusre ki satar dekhne ya छूना jaiz hai magar hukum yahi hai ki मक़ामे मख़सूस ki taraf na dekha jaye ki isse निस्यान ka marz hota hai aur nigah bhi kamzoor ho jati hai


[रद्दुल मुख्तार,jild 5, safa 256]


Mard niche ho aur aurat upar, ye tarika hargiz sahi nahi hai isse aurat ke बांझ ho jane ka khatra hai


[मुजरबाते सुयूती,safa 41]


फरागत  ke baad mard व aurat ko alag alag kapde se apna satar saf karna chahiye kyunki dono ka ek hi kapda istemal karna nafrat aur जुदायगी ka sabab hai


[कीमियाये सआदत,सफह  266]


एहतेलाम hone ke baad ya dusri martaba sohbat karna chahte hain tab bhi satar dho kae wazu kar lena behatar hai warna hone wala bacha bimari ka khatra hai


 [क़ुवतुल क़ुलूब,jild 2,Safa 489]


Zada बूढ़ी aurat se ye khade ho kar sohbat jism बहुल jald kamzoor ho jata hai usi tarah bahare pet par sohbat karna bhi sakht nuksaan देह hai


[बिस्तानुल आरेफीन, safa 139]


जिमअ  ke baad aurat दाईं karwat par letne ka hukum den ki agar नुत्फा क़रार pa gaya to INSHAALLAH ladka hi hoga


[मुजरबाते सुयूती,safa 42]


जिमअ  ke fauran baad pani peena ya nahana sehat ke liye nuksaan deh hai han satar dho lena aur dono ka peshab kar lena sehat ke liye fayde mand hai


[बिस्तानुल आरेफीन,Safa 138]


Tabhi kahte ki hafte me do bar se zada sohbat karna हलाकत का बाईस hai,sher ke bare me ata hai ki wo apni मादा se sal me ak martaba hi जिमअ karta  hai aur uske baad us par itna kamzoor लाहिक़ ho jati hai agle 48 ghante ke baad jab wo uthati hai tab bhi लड़खड़ाता hai.


[मुजरबाते सुयूती,Safa 4]


Aurat haiz ki halat me sohbat karna jaiz nahi agarche shadi ki pahli raat hi kyun na ho aur agar iske jaiz jane jab to kafir ho jayega yunhi uske piche makam me sohbat karna bhi sakht haram hai


[बहारे शरीयत,हिस्सा 2,Safa 78]

Magar haiz ki halat me wo अछूत bhi nahi jo jati jaise ki bahoot jagah riwaj hai ki fatiha wagerah ka khana bhi nahi banane dete ye jihalat hai, balke uske sath sone me bhi harj nahi jabki शहवत ka khatra na jo warna alag सोये

[फतावा मुस्तफविया,jild 3,safa 13]


Kayamat ke din sabse badtar mard wa aurat wo honge jo apne razz ki baten apne doston ko sunte hai


[मुस्लिम, jild 1,safa 464]


Aurat se जुदा rahane ki मुद्दत 4 mahina (months) hai isse zada door rahana mana hai


[तारीखुल खुलफा,Safa 97]


Ala hazrat farmate hain ki hamal ठहरने se rokane ki liye dawa ya koi aur tarika istemaal karna ya hamal ठहरने ke baad usme roh fukane ki muddat 120 din hai to agar kisi उज़्रे शरई maslan bacha abhi chota hai aur ye dusara bacha nahi chahte to hamal साकित karna jaiz hai magar roh padhne ke baad hamela girana haram aur गोया katal hai.


[फतावा रज़वियह,jild 9,Safa 524]


Agar तोगरे me quran ki ayat likhi hai to jab tak us par koi kapda na dala jaye us kamre me sohbat karna ya barhana hona be -adbi  hai han Quran agar जुज़दान me hai to harj nahi yunhi kible ro hona bhi manna hai


[फतावा रज़वियह,jild 9,Safa 522]


Jo bacha samjhdar ho uske samne sohbat karna मकरूह hai


[अलमलफूज़,हिस्सा 1,Safa 14]


Kisi ko do बीवियां hai agarche uska kisi se parda nahi magar aurat ka aurat se parda hai to ak ke samne dusari se sohbat karna jaiz nahi


[फतावा रज़वियह,jild 9,Safa २०७]


बच्चा पैदा होने के ta'allul से chand हदीस:


हज़रत abu hurairah रादिअल्लाहुअन्हु से रिवायत है कि रसूलअल्लाह सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम के पास एक aarabi(dehati) आया और कहा कि या रसूलअल्लाह सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम मेरी बीवी ने kaala लड़का पैदा किया है। आप सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम ने pucha तुम्हारे पास ऊंट (camel) है?

उसने कहा हैं
आप सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम ने फरमाया उनके रंग कैसे है?
उसने कहा surkh
आप सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम ने इरशाद फरमाया उसमें कोई खाकी रंग का भी है?
उसने कहा हैं है
तो आप सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम ने इरशाद फरमाया फिर ये कहा से आ gaye ?
उसने कहा मेरा ख्याल है कि किसी राग ने ये रंग (apney aaba wa ajdad se -Ancestors se) khinch लिया है जिसके वजह से aisa ऊंट(camel) पैदा हुआ है,
आप सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम ने इरशाद फरमाया की फिर aisa भी मुम्किन है कि तेरा bete का रंग किसी राग ने (ancestors se) khinch लिया हो।

 [सही बुखारी, Vol8, 6847]


हज़रत anas रादिअल्लाहुअन्हु से रिवायत है कि रसूलअल्लाह सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम ने इरशाद फरमाया मर्द की मानी ghaadih और safed hoti है और औरत की मानी zard और पतली होती है जो कोई एक दूसरे आए sabqat ले जाये (yani जिसकी mani पहले निकल jaye) तो बच्चा उसी की shakal का पैदा होता है

[Sunan Nasaii, Vol 1, 202]

Ummul Mominah Hazrat Ayesha Siddiqa Radi-Allahu- Taala Anha रिवायत है कि रसूलअल्लाह सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम ने इरशाद फरमाया जब औरत का nutfa मर्द के nutfe पर ghalib  हो तो बच्चा आने nanihal की mushabeh होता है, और मर्द का nutfa औरत के nutfe पर galib  हो तो बच्चा dadihaal पर pahta है



 [सही मुस्लिम, Vol1, 715]

Friday, 26 October 2018

eid ul adha eid ul fitr ke masail

*._POST=🅾1⃣_*
eid ul adha eid ul fitr ke masail

•┈┈┈┈┈✪┈┈┈┈✪┈┈┈┈┈┈┈┈┈┈•

*_🕋τοнFα-є єιd-υℓ-Adнα ..✍_*

•┈┈┈┈┈✪┈┈┈┈✪┈┈┈┈┈┈┈┈┈┈•

*```⇨zilhijja ki 9 tareekh ki subeh se 13 tareekh ki Asar tak har Farz Namaz ke baad har Balig, Aaqil mard aur Aurat per takbeere Tashreeq wajib he, Halki buland awaz se ye Takbeerat padhe,*```

*🤲⇨ Allahu Akbar Allahu Akbar La ilaaha illallahu vallahu Akbar Allahu Akbar valillahil hamd,..*

*📗Aapke Masail aur unka Hal, Jild -4 ,*

___________________________________________

*🕋🌙EID-UL-AZHA KI SUNNATAIN..✍*


❯⇨1. Gusal karna

❯⇨2. Miswak karna

❯⇨3.SuRma LgaNa.

❯⇨4. Ache kapde pehenna,Naye ho to naye warna dhule hue

❯⇨5. Khushbu lagana

❯⇨6. Subha ki namaz Moholle ki masjid me padhna

❯⇨7. Anguthi pehenna

❯⇨8. Eid ki namaz Eidgah me ada karna

❯⇨9. Eidgah paidal jana

❯⇨10. Namaz-E-Eid ke liye ek raste se jana aur dusre se wapis aana

❯⇨11. Khushi jahir karna

❯⇨12. Eidgah me itninan wakar aur nichi nigah kiye jana

❯⇨13. Aapas me Mubarakbad dena

❯⇨14. Bad Namz-E-Eid Musafah karna..

❯⇨15.Eid ki namaz parhnay se pehle kuch naa khana..✍

*📕Jam’ay Tirmidhi, 542, Hasan)*


*☝iɳ Sɦα Ꭺℓℓαɦ*
                       *Ꭺɱℓ ҡαRεiɳ..✍*

    📮 _Next Post Continue...._

____________________________________________

*_POST=🅾2⃣_*
•┈┈┈┈┈✪┈┈┈┈✪┈┈┈┈┈┈┈┈┈┈•
*_🕋τοнFα-є єιd-υℓ-Adнα..✍_*
•┈┈┈┈┈✪┈┈┈┈✪┈┈┈┈┈┈┈┈┈┈•
*🕌📝NAMAZE  EID  KI  TARKEEB..✍*
•┈┈┈┈┈✪┈┈┈┈✪┈┈┈┈┈┈┈┈┈┈•

●❯⇨Eid Ki Namaaz Ki Niyyat: Main 2 Rakat Eid ul Adah Ki Wajib Namaaz 6 Ziyada Takbir Ke Sath Imaam Ke Pichhe Parh Raha Hun

●❯⇨1, Pehli Takbeer*
Jab Imaam Pehli Takbeer Kahe To Dono Haath Kano Tak Uthaye or Hatho Ko Bandh Ka

 ●❯⇨SANA«subhanakallahumma» Parhe

●❯⇨2, Dusri Takbee
Jab Imaam Sahab Dusri Takbeer Kahe To Haatho Ko Kano Tak Utha Kar Phir Chor Dewe

●❯⇨3, Tisri Takbeer*
Jab Imaam Sahab Tisri Takbeer Kahe To Haatho Ko Kano Tak Utha Kar Phir Chor Dewe

●❯⇨4, Chouthi Takbeer Jab Imaam Sahab Chothi Takbeer Kahe To Haatho Ko Kano Tak Uthaye Phir Bandh Lewe
Phir Imaam Sahab Ke Saath Pehli Rakaat Dusri Namaazo Ki Tarah Ada Kare

●❯⇨Dusri Rakaat: Jab Imaam Sahab Pehli Rakat Puri Kar Ke Dusri Rakaat Shuroo Kare To Imaam Sahab Ki Qirat Karne Ke Baad RUKOO Me Jane Se Pehle Imaam Sahab Takbeer Kahennge

●❯⇨1, Pehli Takbeer Jab Imaam Sahab Pehli Takbeer Kahe To Hatho Ko Kano Tak Utha Kar Phir Chhorh Dewe

●❯⇨2, Dusri Takbeer Jab Imaam Sahab Dusri Takbeer Kahe To Haatho Ko Kano Tak Utha Kar Phir Chhorh Dewe

●❯⇨3, Tisri Takbeer Jab Imaam Sahab Tisri Takbeer Kahe To Haatho Ko Kano Tak Utha Kar Phir Chhorh Dewe

●❯⇨4, Chouthi Takbeer Jab Imaam Sahab Chouthi Takbeer Kahe To
Sidhe Rukoo Me Chale Jayen HATHO Ko KAANO TAK NA UTHAYE Phir Dusri Namaazo Ki Tarah Imaam Ke Saath Apni Namaaz Puri Karen….

●❯⇨Namaaz Baad Khutba Sune. Khutba Sunna Bhi Wajib Hai.

*📗Reference [ Hidaya Sharh e Waqaya Qudoori ]*

*📕 Tuhfa-e-ramazanuL Mubaarak-162.*

*☝iɳ Sɦα Ꭺℓℓαɦ*
                       *Ꭺɱℓ ҡαRεiɳ..✍*

    📮 _Next Post Continue...._

___________________________________________

*_POST=🅾3⃣_*
•┈┈┈┈┈✪┈┈┈┈✪┈┈┈┈┈┈┈┈┈┈•
*_🕋τοнFα-є єιd-υℓ-Adнα..✍_*
*•┈┈┈┈┈✪┈┈┈┈✪┈┈┈┈┈┈┈┈┈┈•*

🌹AllaH Ke RasooL ﷺ Eid-uL-AdHa ko ki QuRbaNi..✍
*•┈┈┈┈┈✪┈┈┈┈✪┈┈┈┈┈┈┈┈┈┈•*

♢❯⇨Hazrat Abdullah Ibne Kurt ﺭﺿﻲ ﺍﻟﻠﻪ ﻋﻨﻪ Kehte Hai Ke Allah Ke Rasool ﷺ Ne Hame Hukm Diya Ke Oonto Ko Laya Jaye, Taake Mai Unhe Qurbaan Karu. Hazrat Abdullah Ibne Kurt ﺭﺿﻲ ﺍﻟﻠﻪ ﻋﻨﻪ Kehte Hai Ke Cheh Oont Nabi ﷺ Ki Khidmat Me Pesh Kiye Gaye.

♢❯⇨Jab Allah Ke Rasool ﷺ, Oonto Ko Zabah Karne Ke Iraade Se Aage Badhe, Toh Har Oont Dusre Oont Ko Piche Dhakelta Aur Khud Aage Aane Ki Koshish Karta. Taake Rasoollallah ﷺ Pehle Mujhe Zabah Farmaye.

*📕ABU DAWOOD SHAREEF, VOL-2, HADEES NO-2.*

□❯⇨DuA Tamam Ummat-e- mohammad ﷺ sahi uL Aqeeqa ke Liyeh.

🤲❯⇉ Allah Ta’ala Tamam mohammad ﷺ sahi uL Aqeeqa Ko ILM-KI ROSHNI GROUP Ki Janib Se EID-UL-AZHA Ki Beshumar Neymate Mubarak Ho..

🤲❯⇉Allah Ta’ala Iss Mubarak Din Ke Sadqe Hum Tamam Ki Magfirat Ata Farmaye, Hume Apne Ibadato Ko Riyaakari Ke Fitno Se Paak Rakhne Ki Toufiq Ata Farmaye, Hum Tamam Ko Beshumar Ilm Aur Amal Ki Toufiq Ata Farmaye.

🤲❯⇉Tamam Momin  Musalmano Ko Zalimo Ke Zulm Se Hasido Ke Hasad Se Kafiro Ki Kufr Se Allah Ki Panah Ata Farmaye,

🤲❯⇉Tamam Sahibe Qabr Ko Azaab-e-Qabr Se Nijat Ata Farmaye, Unki Magfirat Ata Farmaye, Aur Unhe Jannatul Firdous Me Aala Maqam Ata Farmaye..

🤲❯⇉Jab Tak Hume Zinda Rakhe Islam Aur Imaan Par Zinda Rakhe, Khatma Humara Imaan Par Ho✒

✍..Wa Akhiru Dawana Anilhamdulillahe Rabbil
A’lameen..🤲


*☝iɳ Sɦα Ꭺℓℓαɦ*
                       *Ꭺɱℓ ҡαRεiɳ..✍*

    📮 _Next Post Continue...._

___________________________________________

*-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-*
*_🕌NAMAJ E EIDEN KA BAYAN🕌_*
*-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-*


*🌺Mas'ala :- Eiden ki namaj ka waqt ek nejaah suraj buland hone se jawaal ke pahle tak hai.*

*Durru muhtaj*
*Jild 1*
*Safha 558*


*🌷Mas'ala :- Eid ke din ye baate mustahab hai👇👇👇*



*1)👉 Hajaamat banwana*


*2)👉 nakhun katwana*


*3)👉 Gusal karna*


*4)👉 Miswaak karna*


*5)👉 Achhe kapde pahanna naye ho ya purane*


*6)👉 Anghuti pahanna*


*7)👉 Khushbu lagana*


*8)👉 subah ki namaj (Fazar) muhalle ki masjid me padhna.*


*9)👉 Eid gaah jald chale jana*


*10)👉 Namaj se pahle Sadqa najar adaa karna*


*11)👉 Eid gaah ko paidal jana*


*12)👉 dusre raste se wapas aana*


*13)👉 Eid gaah jane se pahle Khajoore Kha lena. 3 5 7 ya kam jyada magar taak ho khazoore na hui to koi mithi cheeej kha le.*


*14)👉 Khushi zahir karna*


*15)👉 sadqa wa kherat karna*


*16)👉 Eid gaah ko itminaan aur wakaar Ke sath jana*


*17)👉 Aapas me ek dusre ko mubarak bad dena.*


*Durru muhtaj*
*Jild 1*
*Safha 558*

*📓Jannati jevar*

*Safha :262,263*

___________________________________________

*-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-*
*_🕌NAMAJ E EIDEN KA BAYAN🕌_*
*-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-*


*_🌻NAMAJ  E EIDEN KA TAREEKA🌻_*



*🌷Pahle is tarah niyyat kare ki niyyat ki maine 2 Raqa'At namaj e Eidul Azha ki 6 taqbeero ke sath Allah Ta'Ala ke liye ( muqtadi itna or kahe peeche is imam ke )* muh mera taraf Ka'Aba sharif ke Allahu Akabar .

*👂Fir kaano tak Hath uthaye aur Allahu akbar kah kar Hath bandh le. Or Sanaa padhe fir Haath kano tak utahaye aur Allahu Akabr kahta hua haath chod de* fir Hath kano tak uthaye aur Allahu Akabr kahta hua hath chod de fir kano tak hath uthaye aur Allahu akbar kahta hua hath bandh le .

*🌹Khulasa yeh hai ki pahli taqdBeer ke baad hath bandh le aur 4 choti taqbeer ke bad bhi hath bandhle aur dusri  tisri taqbeer ke baad hath chod de . 4 choti taqbeer ke bad imam Aahista se* Aauzu Billah wa bismillah Padh kar buland Aawaj se Alhamdu sharif aur koi surah padhe aur Rukoo wa sajda se Farig ho kar .

*🥀Dusri Raqaat me Pahle Alhamdu Aur koi surah padhe  fir 3 baar kano tak hath utha kar har baar Allahu Akbar kahta hua haath chod de*. Aur choti baar bila Hath uthaye taqbeer kahta hua rukoo me jaye aur baaki namaj dusri namajo ki tarah puri kre.


*Salam pherne ke baad imam 2 khutba padhe fir dua mange.*

*📓Jannati jevar*

*Safha :262,263*

┄─┅━━━━━━━━┅─┄
        *📮Next post Continue*....
                    ┄─┅━━━━━━━━┅─┄
___________________________________________

*_🌹Eiden ki namaj Wajib hai magar sab par nahi hai balki sirf Unhi logo par jin logo par Jumaa farz hai_* bila Wajah Eiden ki namaj chodna Sakht gunaah hai

*📓Durru muhtaj*
*Jild 1*
*Safha 555*


*🌻Mas'ala :- Eiden ki namaj wajib hone aur jaiz hone ki wahi shartein hai jo Jumaa ke liye hai.* Farak itna hai ki Jumaa ka khutba shart hai aur Eiden ka khutba sunnat hai.

*👆Dusra fark ye bhi hai ki Jumaa ka khutba namaj Jumaa se pahle hai aur Eiden ka khutba namaj e Eiden* ke baad hai Aur ek teesra fark ye bhi hai ki  Jumaa ke liye Azaan wa iqamat hai aur Eiden ke liye Na Azan hai na Iqamat. Sirf 2 baar "assalato jamiaah" kah kar namaj e Eiden ke Elaan ki izajat hai.


*📓Jannati jevar*

*Safha :262,263*
┄─┅━━━━━━━━┅─┄
        *📮Next post Continue*....

___________________________________________

EID UL FITR KI FAZILAT O MASAEL 🌙


              ▶ POST 01 ◀

💝🔮💝🔮💝🔮💝🔮💝

💟 MAAH E SHAWAL ki pehli tareeq ko EID UL FITR hoti hai aur MAAH E ZIL HAJJA ki dus tareeq ko EID UL AZHA hoti hai, in har do ayaat me ahle islam ki eid hoti hai k EID UL FITR se qabl unhone rozey rakh liye hote hain to ab EID UL FITR hogayi, hajj se farigh huye to EID UL AZHA manali.

⭐ In do dino me (eidayen k ayyaam me) musalman ALLAH TA'ALA ki ibadat kiya karte hain, EID UL FITR k baad bhi 6 din SHAWWAL k rozey rakhey jaate hain aur ziyarat RASOOL ALLAH ﷺ k liye tayyar hotey hain, yaani hajj k baad madina jaana.

☀ ALLAH TA'ALA aesa hi karey ye har saal me hota rahey ismey ALLAH TA'ALA ki janib se kasrat se inamat farmaye jatey hain, lehaza musalmano ko iska nihayat shaoq aur isper khushi hoti hai aur inki khwahish hoti hai k baar baar eid aaye, 2 hijri me RASOOL ALLAH ﷺ ne pehli martaba EID UL FITR ki namaz padhi thi baad uskey kabhi na chodi pas is EID KI NAMAZ sunnat e maokada hogayi.

⭐ HAZRAT ABU HURAERA رضي الله عنه raawi hai k apni eido ko takbeero se sajao.

☀ RASOOL ALLAH ﷺ ka irshad hai jis shaks ne ye wazeefa roza eid 3 sad baar padhliya, SUBHANALLAHI WA BIHAMDIHI (paak hai ALLAH aur iski hamd hai) aur iska sawaab sab musalmano ko isne bakhs diya to inme se har ek ki qabr me 1000 noor dakhil honge aur ye aadmi khud jis waqt wafaat payega iski qabr k andar bhi 1000 anwaar dakhil farmadega.

🌟 HAZRAT WAHAB BIN MAMBA رضي الله عنه se marwi hai k har eid k roz iblees chilla chilla kar karya karta hai to degar shayateen iskey ard gird jama hojate hain aur isse daryaaft karte hain k aye hamare sardaar aap kyu kar pareshan hain wo jawaab deta hai k is roz ALLAH TA'ALA ne janaab MUHAMMED ﷺ ki ummat ki maghfirat farmadi hai, lehaza tumhare liye ab zaruri ho chuka hai k inko shehwato aur lazzato me mubtela karkey ghaflat sha'aar banado.

🌟 HAZRAT WAHAB BIN MAMBA رضي الله عنه se marwi hai k EID UL FITR waley din hi ALLAH TA'ALA ne jannat ki takhleeq farmayi aur iskey andar tuba ka shajar kaasht kiya (tuba se muraad khushi hai) aur EID UL FITR k roz hi awwal martaba HAZRAT JIBRAEEL عليه السلامwahi lekar utrey aur EID UL FITR k roz hi fir'aon k sahiro ki taoba qubool farmayi gayi.

📚 REFERENCE:-
📗 (MUKASHIFATUL QULOOB)

💖 CONTINUE...

___________________________________________

🌙 EID UL FITR KI FAZILAT O MASAEL 🌙
▶ POST 02 ◀

          💝🔮💝🔮💝🔮💝🔮💝
💟 RASOOL ALLAH ﷺ ka irshad hai EID ki shab me apne muhasebe k sath jo raat ka qiyaam karey is roz iska dil murda no hoga jis roz dil marenge.

🌟 HIKAYAT:

⭐ EID k roz HAZRAT OMER رضي الله عنه dekhte hain k inkey farzand ki khamees boseeda hai to aapko rona aagaya farzand ne pucha k aap kis waja se rotey hain to farmaya aye bete mujhe ye khadsha hai k EID ka roz hai aur tu dil shikasta hojayega.
⭐ Jis waqt degar bache tujhe dekhenge k boseeda kurta zeyb tan hai wo kehne lagey dil to aese aadmi ko toota karta hai jisey razaye ilahi haasil nahi hoti ya jisne walidayen ki nafarmani ka irtekaab kiya ho aur main umeed rakhey huye hoon k aap janaab ki razaye ki waja se mere sath ALLAH TA'ALA bhi raazi hoga, HAZRAT OMER رضي الله عنه rotey huye apne bete ko apne seene se lagaye aur farzand k haq me ALLAH TA'ALA se dua ki.
☀ Faqeer o sabr do kapde hain jinkey mabeen dil hai jo dono eido aur jumua k roz parwardigaar ki ziyarat kiya karta hai.
🌟 Riwayat me aata hai k EID UL FITR waley din ki subah ko ALLAH TA'ALA malayeka ko bhejta hai jo zameen per nazil hojate hain, galiyo k kinaro per aa khadey hotey hain aur awaaz dena shuru kardete hain jisey tamaam hi sunte hain siwaye insano aur jino k.
☀ Aye MUHAMMED ﷺ ki ummat nikal pado apne rabbe kareem ki janib wo tum logo ko bahot zyada ata farmaye, badey maasi yaani gunaah bakhsh dega, jis waqt jaye namaz par ajate hain to malayeka se ALLAH TA'ALA mukhatib hota hai, aese mazdoor ki mazdoori kya hai jisne kaam pura kardiya wo jawaab dete hain iski juz ye hai k puri mazduri ata farmayi jate ALLAH TA'ALA farmata hai maine apni raza aur apni maghfirat unka ajar kardi hai.
📚 REFERENCE:-
📗 (MUKASHIFATUL QULOOB)
💖 CONTINUE...
Sunni Islamic World Facebook वर आहे.Sunni Islamic World शी कनेक्ट होण्यासाठी, आजच Facebook जॉइन करा.
किंवा
🌙 EID UL FITR KI FAZILAT O MASAEL 🌙 ▶ POST 02 ◀ 💝🔮💝🔮💝🔮💝🔮💝 💟 RASOOL ALLAH ﷺ ka irshad hai EID ki shab me apne muhasebe k sath jo raat ka qiyaam karey is roz iska dil murda no hoga jis roz dil marenge.

🌟 HIKAYAT:

⭐ EID k roz HAZRAT OMER رضي الله عنه dekhte hain k inkey farzand ki khamees boseeda hai to aapko rona aagaya farzand ne pucha k aap kis waja se rotey hain to farmaya aye bete mujhe ye khadsha hai k EID ka roz hai aur tu dil shikasta hojayega.

⭐ Jis waqt degar bache tujhe dekhenge k boseeda kurta zeyb tan hai wo kehne lagey dil to aese aadmi ko toota karta hai jisey razaye ilahi haasil nahi hoti ya jisne walidayen ki nafarmani ka irtekaab kiya ho aur main umeed rakhey huye hoon k aap janaab ki razaye ki waja se mere sath ALLAH TA'ALA bhi raazi hoga, HAZRAT OMER رضي الله عنه rotey huye apne bete ko apne seene se lagaye aur farzand k haq me ALLAH TA'ALA se dua ki.

☀ Faqeer o sabr do kapde hain jinkey mabeen dil hai jo dono eido aur jumua k roz parwardigaar ki ziyarat kiya karta hai.

🌟 Riwayat me aata hai k EID UL FITR waley din ki subah ko ALLAH TA'ALA malayeka ko bhejta hai jo zameen per nazil hojate hain, galiyo k kinaro per aa khadey hotey hain aur awaaz dena shuru kardete hain jisey tamaam hi sunte hain siwaye insano aur jino k.

☀ Aye MUHAMMED ﷺ ki ummat nikal pado apne rabbe kareem ki janib wo tum logo ko bahot zyada ata farmaye, badey maasi yaani gunaah bakhsh dega, jis waqt jaye namaz par ajate hain to malayeka se ALLAH TA'ALA mukhatib hota hai, aese mazdoor ki mazdoori kya hai jisne kaam pura kardiya wo jawaab dete hain iski juz ye hai k puri mazduri ata farmayi jate ALLAH TA'ALA farmata hai maine apni raza aur apni maghfirat unka ajar kardi hai.

 📚 REFERENCE:- 📗 (MUKASHIFATUL QULOOB)

💖 CONTINUE...
___________________________________________

🌙 EID UL FITR KI FAZILAT O MASAEL 🌙

              ▶ POST 03 ◀

💝🔮💝🔮💝🔮💝🔮💝

🌟 EID UL FITR K DIN NABI KAREEM KA NAMAZ K LIYE JAANE SE PEHLE KUCH KHANA

⭐ Hazrat anas رضي الله عنه se marwi hai k NABI KAREEM ﷺ EID UL FITR k din tashreef le jate hata k chand khajoorey tanawal farmate.

☀ Ye hadees IMAM BUKHARI رحمة الله عليه ne riwayat ki hai aur farmaya k marja bin raja ne khaa mujhse ubaidullah ne bayaan kiya (wo farmate hain) mujhse hazrat anas رضي الله عنه se riwayat karte huye bayaan kiya k aap taaq khajoorey tanawal farmate the.

⭐ IMAM HAKIM رحمة الله عليه ne hazrat atba bin hameed رضي الله عنه ki riwaat se wo inse bawaasta hazrat ubaidullah hazrat anas رضي الله عنه se in alfaaz me naqal karte hain k NABI E AKRAM ﷺ EID UL FITR k din kabhi bhi tashreef le gaye hata k aap chand khajoorey tanawal farmate 3 ya 5 ya 7 ya issey kam ya zyada hotey lekin taaq hotey.

🌟 KHAANE MEIN HIKMAT:

☀ Namaz se pehle khane me hikmat ye hai k koi gumaan karne wala ye gumaan na karey k namaz eid padhne se pehle roza rakhna laazim hai goya AAP ﷺ ne is raaste ko band karne ka irada farmaya.

☀ Jab rozey ki farziyat k baad roza chodna laazim hua to ALLAH TA'ALA k hukum ki tameel me chodne ki jaldi karna mustahab hai, kam khane per AAP ﷺ ka iktefa karna is baat ki taraf ishara hai k agar tameel hukum e khudawandi ki baat na hoti to AAP ﷺ saer hokar khaate is baat ki taraf ibne abi hamza ne ishara kiya.

📚 REFERENCE:-
📗 (MAWAHID LADUNIYYAH, JILD 3)

💖 CONTINUE...

___________________________________________

🌙 EID UL FITR KI FAZILAT O MASAEL 🌙

              ▶ POST 04 ◀

💝🔮💝🔮💝🔮💝🔮💝

⭐ Khajoorey khaane me hikmat ye hai k meethi cheez aankho ki binayi ko taqwiyat deti hai jisey roza kamzor karta hai aur meethi cheez imaan k mawafiq hai aur khwaab ki tabeer isi k sath ki jati hai (jo shaks khwaab me meetha khata hai to iski tabeer imaan ki mazbooti k sath ki jati hai)

☀ Aur issey dil me narmi paeda hoti hai isi liye baaz tabayeen ne mutalaqan meethe se iftaar ko mustahab qaraar diya jaese k shehed hai, ye baat ibne abi shaeba ne hazrat muawiya bin qara, ibne sireen رضي الله عنهم aur inkey alawa hazraat se naqal ki hai.

⭐ SUNAN TIRMIZI me hai aur IMAM HAKIM ne bhi hazrat buraeda رضي الله عنه ki hadees riwayat ki hai wo farmate hain, k NABI KAREEM ﷺ EID UL FITR k din jab tak kuch tanawal na farmte EID k liye tashreef na le jatey aur EID UL AZHA k din is waqt tak kuch na khaatey jab tak NAMAZ E EID na padhlete.

☀ Isi qism ki hadees IMAM BIZAAR رحمة الله عليه ne hazrat jabin bin samra رضي الله عنه se riwayat ki hai.

☀ TABRANI AUR DAR QUTNI ne hazrat ibne abbas رضي الله عنهما se riwayat kiya, wo farmate hain sunnat ye hai k EID UL FITR k din is waqt tak na jaaye jab tak sadqa e fitr ada na karey aur koi cheez kha na ley.

🌟 NAMAZ EID K LIYE PAEDAL JAANA

⭐ HAZRAT IMAM SHAFAYI رحمة الله عليه ne "KITAAB ULAM" me farmaya k hamey IMA ZAHRI رحمة الله عليه se ye baat pahochi hai k NABI KAREEM ﷺ EID  ki namaz aur namaz e janaza k liye kabhi bhi sawaar hokar tashreef nahi legaye.
(ALAM AL SHAFAYI, JILD 1, PAGE 233)

📚 REFERENCE:-
📗 (MAWAHID LADUNIYYAH, JILD 3)

___________________________________________

🌷✨🌷✨🌷✨🌷✨🌷✨
*_📃POST:- 5⃣_*
*-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-*
*_🕌EID-Ul-FITR KA BAYAN🕌_*
*-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-*


*🌹 الصــلوة والسلام‎ عليك‎ ‎يارسول‎ الله ﷺ*

*💜 Sawwal Ke 6 Roze:*

💎 Hazrat Abu Ayyub Ansariرضی اللہ عنہ
Bayan Karte Hai Ke
Rasool Allah ﷺ Ne Farmaya:

*🌴 "Jis Shakhs Ne Ramzaan Shareef Ke Pure Roze Rakhe Aur Fir Uske Baad Shawwal Ke 6 Roze Rakhe To Yeh Hamesha Roza Rakhne Ki Misl Hai.*
*Yaani Use Saal Bhar Roza Rakhne Ka Sawaab Milega.*

📚 (Sahi Muslim
Kitabussiyam)..



┄─┅━━━━━━━━┅─┄
        *📮Next post Continue*....
                    ┄─┅━━━━━━━━┅─┄

___________________________________________

Shia ke Aqeeda

Islam ke ibtdai daur me paida hone wale batil firko me yah rafzi aur kharji dono fikhe bade mashahur hy. 
Rafzi(shia) aur kharji(nasibi) ke bare me huzur ki hadis sharif: ⤵ 

📃 hazrat ali farmate hy ki mujh se huzur ne farmaya ae ali tum me hazrate isaa alehsalam ki misal hai , yahudiyo ne un se dushmani ki yahan tak ki unki maa (hazrate maryam) tohmat lagai aur isaiyon ne muhbbat ki to unhe unke martabe se aage bada diya(unhe khuda ka beta ya tisra khuda man liya) hazrate ali kehte hy ki huzur ne farmaya ki tumhare bare me bhi 2 kism ke log gumrah honge ek muhbbat me had se aage badne wale dusre woh jo tumse dushmani rakhenge aur is dushmanitki wajah se woh tum par bohtan lagaenge.

📚 (mishkat, babe ali ibne abi talib, fasle salis, safha-565)

aur yah dono firkhe islami hado ko falang gae aur ek ko hazrate ali ki be-ja muhbbat aur dusre ko unki adawat jahnnam le jaegi
Aaj hum apko rafziyon ke bare me batate hy.

Rafzi:

Inka purana naam 'shia' hy. Shia ka mana pairokar ,tarfdar aur himayti ke hy chunki yah log hazrat syed ali murtza ke tafdar,pairokar aur himayti the islie shia ke naam se jana gaya!
Fir hazrate maulae qaynat ali radiALLAHuanhu ki muhbbat me yah log hadse aage badgae aur digar sahabae kiram khaskar khulfae salasa yani hazrate abu baqr siddiq radiALLAHuanhu hazrate umar faruq radiALLAHuanhu hazrate usmane ghani radiALLAHuanhu ki shan me gustakhiyan karne lage.

Rafzi ke mana hy maidane jung me apne amir ko chod kar bhagne wale ke hy. Hazrat imam husain radiALLAHuanhu ke pote hazrate zaid bin ali ko un logo ne apna imam wa peshwa man liya tha aur unhe umwi badshah hisham bin abdul malik ke mukable par khada kar diya aur fir unse kehne lage ki hazrate abu baqr aur hazrate umar se bezari ka elan kijie(unhe bura kahiye) warna hum apko chod denge. lekin hazrate zaid ne farmaya ki maine apne khandan me kisi ko nahi dekha ki woh hazrate abu baqr aur hazrate umar ki shan me gustakhi karta ho

******************************************
Sunni and shia

Mazhab e Shia ki Haqiqat


MaZhaB e Shia 


Aqida e shia darbar e ALLAH ta'ala


Muhammad (sallallahu alaihi wasallam) ne jis ALLAH ki ziyarat ki wo kill 30 sal ka tha

(MazzALLAH)
📑 ( asool e kafi jild 1 page number 49)


Ma’ZALLAH In Khatmalo K Nazdeek
Goya KHALIQ Chota Or Makhlooq
Bada !!


“ALLAH TA’ALA Ka bhi Ka bhi Jhoot Bhi Bolta
Hai Or Galati Bhi Karta Hai”

   (MA’ZALLAH)

📑[Asool E kafi J#1 pg#328]


“ JIBRAIL (alaihissalam) BHOOL GAYE ”⤵

Allah Ta’ala Ne Hazrat Jibrail ko
Paigham e Risalat Dekar Hazrat Ali (radiallahuanhu) ke Pass
Bheja Lekin Woh Galti Kar Ke Hazrat
Muhammad Sallallahu alaihi Wasallam
Ke Pass Chale Gaye.

( NAOOZBILLAH )

📑[Anwar ul Nomania pg#237]
📑[Tazkirat ul Aaima pg#78]



“ HAZRAT ALI KHUDA HAI ”

SHIA kehtey hain
ALLAH Ne Apane Umoor Hazrat ALI (radiallahuanhu)ko
Supurd Kar diye Hai jese Tamaam
Makhlooq Ki Rozi Ki Taqseem aur OLAD
Ki Paidaish Wagerah..
Hazrate Ali Jaisa Chahate Hain Waisa Hota
Hain Is Me Allah ko kisi Qism ka Dakhal
Nahin.

📑[Tazkirat Ul Aaima pg#77]


“ Shia Kehate Hain Ke Nabi Kareem (sallallaho alaihi wasallam) Ne
Apane Farzand Ibrahim' Ko
Bila’ janaza Dafan kardiya”

📑[firo e Kafi j:1, pg:112]

-. Beshaq Qaatilan E Husain In Jaise
Gaddar Log The

Continue …⤵


“ Dukhtar E Nabi Hazrat Fatima zehra
Hazrat Umar ke Girebaan Se Chimat gai
Or Pakad Kar Apani Taraf Kheench liya ”

📑[Asool e Kafi Pg#297]

Khaton E Jannat ki Shan Me aise
Alfaaz Ghaleez Shia Hi nikal Sakte
Hain..

Mazhab e Shia


Shia Kahte Hain

“ Tamam Ashaab Siwaye 3, 4 Adamiyon ke
Sub Murtid Ho gaye The ”

↪(NAOOZBILLAH)

📑(.Firog e kafi j#3, pg#115.)

Mazhab E Shia


Shia Vs Qur'an.

“ Moujood Qur'an Naqis Hain aur Qabil e
Hujjat Nahin  ”

📑 (Asool e Kafi pg#26, 263, 264, 266.)

Shia Par Kis Qadar Ghazab E Ilaahi hai
Jin ke Pass Aaj tak Apani Ilhami kitaab b
Na Poonch Saki

 MaZhaB e ShIa

(Aqeeda 9 )

~ Shia Vs Qur'an ~

 MOJOODA QUR'AN Tahreef Shuda
(Changed) Hain

📑 (Hayat ul Quloob j:3, pg:10)

Jama Qur'an Jo Bad aZ RASOOLALLAH (sallallahu alaihi wasallam)
Kiya Gaya Asoolan Galat Tha

( MAZZALLAH )

hazar Tumhari Dus Hamari

📑 (page number 560)

Imam Mehndi Jab Ayenge Toh Asal
Qur'an Le Ayenge

 (MA’ZZALLAH)

📑(Ahsan ul Muqabil j:2, pg:336)

Mazhab E Shia

Aqeeda 10

Shia ke Ambiya Ki Shan Me Bakky Gaye
Kufriyat -

Tamam Paigumber Zinda Ho kar Hazrat
Ali K Ma’tehat Hokar Jihad Karenge

↪ (MA’ZZALLAH)

📑(Tafseer e Ayyashi j:1 , pg:181)


Hazrat Younus alaihissalam Ne Wilayat
E Ali Ko Kabool Na Kiya Jis Ki Wajah Se
Allah Ta’ala Ne Unhen Machhli ke Pait
Me Daal Diya

 (MA’ZALLAH)

📑 (Hayat ul Quloob j:1 , pg:459)

Martaba E Imamat, Martaba E
Paigmbari Se Baala’tar Hai

↪ (Ma’ZZALLAH)

📑(Hayat ul Quloob j:3, pg:2)

Mazhab E Shia

Aqeeda 11

Shia ke Sahaba e Kiram ki Shan Me
Bakky Gaye Kufriyat

Hazrat Abu bakr o umar o usman Hazrat
Ali ki Imamat Tark Kar denye Ki Waja se
Murtad (Kafir) hogaye

(RadiALLAHUanhu)
 ↪(MA’ZZALLAH)

📑 (Asool e kafi j:1, pg:420)

Hazrat Umar Baray Be-Haya aur
Be.Gerat They

↪ (MA’zZallah)

📑 (Noor ul eman pg:75)

Hazrat Abbas aur Hazrat Aqeel Zaleel un
Nafs Aur Kamzor imaan Wale they

↪(MA’ZALLAH Summa Ma’ZALLAH)

📑 (Hayat ul Quloob j:2, pg:618)

🤔 Kya Ab b Koi in Khatmalo Ko
Musalman Smjhega??⤵

Mazhab E Shia

Aqeeda 12


Shia ke Sahaba Aur Sahabiyat Ki Shan
Me Kufriyat-

Hazrat Aisha, Hazrat Zubair aur Hazrat
Talha Wajib ul Qatal They

↪ (MA’ZALLAH)

Bagawb Banu Umaya o Maviya 📑 page:474

 Hazrat Aisha ka Shariyat se Koi Talluq
Nahin

↪ (MA’ZALLAH)

📑 (Shariat o shia’iat page number:45)

Shia ka Khumeni likhta hai Hazrat
Umar Kafir o Zandeeq tha, Mazeed
Likhta hain Hazrat Usman Gaarat gar
tha Unki Khilafat me Fahashi ka
Silasila shuru Huaa

↪ (MA’ZZALLAH)

📑 (Kashaf ul Israr pg:107)

Mazhab E Shia

Aqeeda 13

SHIA AUR MAQAM E ZINA ⤵

Shia likhte Hain Jis Ne Aik Dafa Muta
(Zina) Kiya Uska Darja Hazrat Imam
Hussain ke Baraabar , Jis Ne Do Dafa
Muta Kiya Uska Darja Imam Haasan ke
Baraabar. Jin Ne 3 Dafa Muta kiya
Uska Darja Hazrat Ali K Barabr. Jis Ne 4
Dafa Muta Kia Uska Darja Hzrat
Muhammad alehy SaLam k Barabr Ho
Jata Hai.

↪(MazzALLAH SUMMA MaZZALLAH)

📑 (Burhan E Muta Sawab e Muta
page~52)

MAZHAB E SHIA⤵

AQEEDA 14

Agar Koi Shia Namaz Me Ho Aur
Mazzi, Wadi Beh Kr Paoon Tak Chali
Aaye To Wuzu Nahi Tootega Aur Na Hi
Namaz Fasid Hogi. Mazzi Thook Ke
Barabar Hai.

📑[Firo e Kafi j:1, pg:21]

Kiya Koi Shia Ye Sun’na Gawara Karega
ke Jo Cheez Uske Sharamgah Me Hai
Wohi Uske Moo b Mojood Hai??

Kyun ke  Shia k Nazdeek To Mazzi Thook Ki Tarha Hai Naa

MaZhaB e ShIa

AQEEDA 15

Shia Ka Mazah Se Bharpur Mas’ala:⤵

Agar Pani Na Mile To Istanja Thook Se
Kar Lena Chaahiye. Ba’shart Ye K Thook
Apni Ho.

📑[Firo e Kafi j:1, page:11]

*Isme Kiya Shak Hai Ke Mard Shia Ke
Liye Ye Masla Kam Kharch Bala Nasheen
Hai, Lekin Shia Ladies Ka Kya Hoga…!

MAZHAB E SHIA ⤵

AQEEDA 16

MAS'ALA⤵

Shia Kahte Hain Ke Agar Namaz Me Apni
Sharamgah Se Khelen To Namaz Nahi
Toot’ti

📑 [AL’Istabsar j:1 pg:45 Matbua Jafri]

Khatmalo Ko Aayesi Vahiyat Aur Behuda
Harkat Karne ke L liye Namaz Ka Hi Waqat
Mila Tha??

Is Se Andaaza Lagayen Ke Shia ki
Masajid ka Kya Aalam Hoga. . .

MAZHAB E SHIA

AQEEDA 17⤵

Shia kahte Hen Khinzeer Ke Balon
(hair's) Ki Rassi Se Jo Pani Kuwen Se
Nikala Jaye Pakk Hai, Us Se Wuzu Karna
Jaiz Hai

📑 (Firo e Kafi 1/4)

Is Mas’ale Ne Shia Ki Paleedi Ko
Numaya Tor Par Zahir Kar Diya.

MAZHAB E SHIA

AQEEDA 18

SHIA NASAB NAMA:⤵

Ghulam, Mushrik aur Azad Ek aurat Se
Jima Karen To Qura’andazi Karo Jab
Bacha Paida Ho.

📑 (Firo e Kafi 2/55)

MaZhaB e ShIa

AQEEDA 20

SHIA Ke Nazdeek Musht Zani Jaiz Hai

📑 (FIRO E KAFI J#2, PG#15, 69)

Har Haram aur Napak Kam shia
Mazhab Ki Pehchaan Hai..

MAZHAB E SHIA

AQEEDA 20⤵

SHIA KHURAK1⃣:⤵

 GOSHT khinzeer aur Murdar Khane Se
Koi Hadd e Sharee Nai Lagati

📑(Firo e Kafi 3/131)

Agar Chooha Gosht Me Pakk Jaye To
Shorba Gira Diya Jaye aur Gosht Dho Kar
Kha Sakte Hain

📑 (Firo e Kafi 2/105)

Kutta Ghee Ya Tail Me Gir Jaye To Wo
Tail Ya Ghee Pakk Rehata Hai

📑 (Firo e Kafi 2/105)

MaZhaB e ShIa

SHIA KHURAK PART2⃣: ⤵

Shia ke Nazdeek Ghada (Donkey)
Khana Haram Nahi_

📑(Firo e Kafi 2/98)

Sun’ne Me Aa Raha Hai Ke Shia Goverment
Se Ghadon ke Ghousht ki Farokht Ke Liye
License Hasil Karne Wale Hain

MAZHAB E SHIA⤵

AQEEDA 22⤵

Jab Koi Shia Marta Hai Tab Uske Moo
Se Manni Ka Nutfa Nikal Parta Hai

📑(Firo e kafi 1/75)

Jis Moo Se Sahaba (radiALLAHHUANHU)Ko Bura Kahte
Rahe Agar Marte Waqat Ye Najasat Moo
Se Nikli To Kya Ta’jub Ki Baat Hai!
Ghaleez Ko Ghalazat Hi Naseeb Hoti
Hai..

MAZHAB E SHIA

AQEEDA 23

SHIA KA MINERAL WATER 😂:⤵

Kutta Pani Me Gir Kar Mar Jaye,
Agar Phatta Nahi or Pani Me Bu Bhi
Nahi, To Panch(5) Buke Pani Nikalna
Chahiye.

📑 (Firo e Kafi 1/4)

Shaayad Kutta Ghusal Kar Ke Gira
Ho..😂

MAZHAB E SHIA

➡Shia VS Shia:⤵

Aaj Kal Jo Azan Shia Ne Ejad Ki Hui
Hai Is Par Shia Ka Fatwa e Laanat Hai

📑 (Man’la yahfara al’faqeeh page:93)

Siyah (BLACK) Libas Is Liye Pehn’na
Haram Hai K Libaas e Firon Hai

📑 (Huliyal Mutaqeen page8)

Shia Ne Kaha Jo Jaz’a Faz’a Kare (Yani
Cheekhe Chillae, Mu Par Hath Maary
Ya Seeny Ya Raan Par Hath Maary)
Uske Tamaam Naik Aamal Barbaad Ho
Jate Hain

📑 (Firo e Kafi 1/121)

Laya Hoon Tere Bazm Se Tere Yaar Ki
Khabar

MAZHAB E SHIA⤵


SHIA KHURAK PART3⃣:⤵

Shia Kahte Han Agar Najaasat
(PAKHANA ETC) Me Pari Hui Roti Kha
Lain To Jahannum Se Azad Hain

📑 (Zakeer ul Miyad page 45.)

Shia Ki ayese Ghiza Par
Hamara Door Se Hi Salam Hai


MAZHAB E SHIA:⤵


SAWAL :-↘

Shia, HAZRAT Imam e Azam Aur Fiqah e
Hanafi Par Aitrazat Karte Hen iska Koi
Jawab Dijye.

AL JAWAB :-⤵

➡1)Shia ki Moatabr Kitaab Me Likha Hai
Ke Hazrat Imam Abu Hanifa (Rahmatullah alaihi) Ka Ilm
Hazrat Imam Jafar Sadiq Tak Pahunchta
Hai

📑(Tazkirat ul Aaima page64)

➡2) Shia Ne Khud B Iqraar Kiya Hai Ke
Hazrat Imam Abu Hanifa, Hazrat Imam
Jafar Ke Shagird Hain..

📑(Ijtaqaq e Haq page5)

Uljhan Hai Paoon Yar Ka Zulf e Daraz
Me..


MAZHAB E SHIA :⤵



SAWAL:⤵

Shia, Hazrat Siddique e Akbar (RADIALLAHUanhu)Ki
Afzaliyat K Munkir Hain

➡AL JAWAB:⤵

Shia Ki Moatabar Kitab Me He k
SIDIQUE E AKBAR (RADIALLAHUanhu) ki Afzaliyat Aa’mal
Balke Ikhlas O Aqeedat Se Hai

📑 (Majalis ul Momineen page88)


MAZHAB E SHIA:⤵

➡Sawal: Shia Kahte Hain Ke Hijrat Ke
Waqat Hazrat Siddique e Akbar (RADIALLAHUanhu )Huzoor ( sallallahu alaihi wasallam) Ke
Saath Nahi The

➡AL JAWAB:⤵

Iska Jawab Shia ki Kitab Se Hazir Hai.
Balke Khud Shia Ka Iqraar Hai Ke
Siddique e Akbar (RADIALLAHUanhu)Ka Hijrat Me Sath
Jana Ba’farman e Khuda’wandi Tha.

📑(Majalis ul Momineen page213)

MAZHAB E SHIA

29

➡SAWAL: Shia HAZRAT Abu Bakr (RADIALLAHUanhu)o Umar  Ki
Khilafat Tasleem Nai Krte?

➡AL JAWAB:⤵

Shia Ne Khud Hzrat Siddique e Akbar (RADIALLAHUanhu) Ke
Bad Hazrat Umar (RADIALLAHUanhu) ki Bhi Khilafat Ka Iqraar Kiya Hai

📑(As’saafi page502)

MAZHAB E SHIA :⤵

➡ HAQANIYAT E AHLE SUNNAT SHIA KI
ZUBAANI
ﻭﺍﻣﺎ ﺍﻫﻞ ﺍﻟﺴﻨﺔ ﻓﺎﻟﻤﺘﻤﺴﻜﻮﻥ ﺑﻤﺎ ﺳﻨﺔ
ﺍﻟﻠﻪ ﻭ ﺭﺳﻮﻝ
📑(Ahtijaj e Tibrisi page90)

MAZHAB E SHIA:⤵

↪NANA JAAN

SHIA NE LIKHA:⤵

Hazrat Abu Bakr Siddique (RADIALLAHUanhu) , Hazrat Imam
Jafar Sadiq ke Nana Jaan Hain

📑(Tazkirat ul Aaima page129)

SHIA SE SAWAAL:⤵

↪ Jub Siddique E Akbar (RADIALLAHUanhu), IMam Jafar ke
Nana Hain To Phir Unhe Galiyan
Kyun???🤔


MAZHAB E SHIA:⤵


SAWAL:⤵

Ahle Sunnat Wale Kahte Hain Ke Hazrat
Ali (RADIALLAHUanhu) Ki Ek Beti Hazrat Umar (RADIALLAHUanhu) Ke  Nikah Me
Thi, Jab Ke Shia Iska Inkar Karte Hain

➡AL JAWAB:⤵

↘ Dekho Shia Ki Kitab Me Kya Likha Hai.

“HAzrat Umar (RADIALLAHUanhu) K e Wisal ke baad Hazrat Ali (RADIALLAHUanhu)
apni Beti Umme Kalsoom Ko Apne
Ghar Lay Aaye"

📑 [Firo e kafi j2 p116]

➡ SHIA SE SAWAAL:⤵🤔

Agar umme Kalsoom Hazrat Ali (RADIALLAHUanhu) ki Beti
Nahi Aur Hazrat Umar (RADIALLAHUanhu) Ke Nikah Me
Nahi Thi To Phir Hazrat Ali (RADIALLAHUanhu) Unko Apne
Ghar Kyun Lay Aaye???🙄


MAZHAB E SHIA:⤵


➡ SAwal:⤵

Shia Hazrat Usman (RADIALLAHUanhu) Par Aitraaz Karte Hain
Ke Huzur alaihissalam Ki 2 Betiyan Unke
Nikah Me Nahi Thi

➡AL JAWAB :⤵

↪ Ghar Ki Gawahi⤵

Shia ki Kitab Me He Ke Hazrat Imam
Jafar Sadiq Se Rivayat He Sarkar alaihissalam Ki 2 Betiyon Hazrat Umme
Kalsoom Aur Hzrat Ruqaiyya Ka Nikah
Huzur Ne Hazrat Usman Se Kardia

📑REFERENCE (Hayat ul Quloob jild2.page588)

Muddai Lakh Par Bhaari Hai Gawahi
Teri👌


MAZHAB E SHIA: ⤵


↪SAWAL :⤵

Shia Kahte Hen Ke Huzur alaihissalam ki
Sirf Ek Beti Thi, Ahle Sunnat Wale 4
Galt Bolte Hen

↪AL JAWAB:⤵

Aao Tumhe Shia Kutub Ki Sair Karwata
Hun Jis Me Huzur Ki 4 Betiyon Ka Zikr
Naam Ke Sath Bataya Hai

📑 (Asool e Kafi j1, p278,439)

📑 (Tahzeeb ul Ahkam 1/284)

📑(Hayat ul Quloob 2/718, 728, 1026,
157)

📑 (Mathul Amaal jild1 page29)

📑(Mirat ul Aqool jild1 page352)

📑(Zabh e Azeem page24)

📑 (Anwar e Nomania jild1 page366)

➡ Shia Ko Challenge He Ek Hawala B Galt
Sabit Kar ke Dikhayen

MAZHAB E SHIA :⤵


SAWAL:⤵

Shia Saydna Siddique e Akbar Aur Hazrat
Umar Ki Khilafat K Munkir Hain.. (RADIALLAHUanhu)

➡AL JAWAB:⤵

Tafseer E Shia Se Hazrat Abu Bakr
Siddique Ki Khilafat Ka Saboot

Huzoor alaihissalam Ne Hazrat Hafsa Se
Frmaya Ke
“ Tahqeeq Mere Baad Hazrat Abu Bakar
Khaleefa Honge Aur Uske Baad
Tumhare Baap Hazrat Umar Khaleefa
Honge. Arz Ki YA RASOOLALLAH! Ap
Ko Kis Ne Bataya? irshad Farmaya ALLAH
Ta’ala Ne Bataya Hai..

📑[Tafseer-e-Qumm i page-687]

~MaZhaB e ShIa


🔮SHIA QATIL E IMAM HUSSAIN🔮

Imam Zain ul Abden Ne Apane Khutbe
Me Kaha

“Ae Logo! Me Tum Ko Khuda Ki Qasam
Deta Hun Tum jante Ho Ke Mere Walid
Ko Khat Likhe Aur Unko Faraib Diya, aur
Unse Ehd o Peman Kiya. Unse Be’it Ki
Aur Aakhir Unse Jung Ki aur Dushman
Ko Un Par Musallat Kiya. Pass Tum Par
Lant Ho Tum Ne Apne Paon Se
Jahannum Ko Ikhtiyaar Kiya

➡Shia ßook: 📑 [JaLa ul Uyoon (urdu) page506]

Tabsira e YaLghar:⤵

Is Khutbe Se Zahir Hota Hai Ke Qatil e
imam Husain Yahi Shia Log The
Jinhone  Khat Likh Kar imam Hussain Ko
Kufa Bulaya Aur Akhir Kaar Khud Hi
Inko Shaheed Kardiya

MaZhaB e ShIa:⤵

🔮 SHIA QATIL E IMAM HUSSAIN🔮

Hazrat Bibi umme kalsoom ne Apni
Taqrir Me Farmaya:

“Ae Ahle Kufa Tumhara Haal aur Maal
Bura Ho. Tumhare Moo Siyah HON. Tum
Ne Kis Sabab Se Mere Bhai (imam
Husain) K0 Bulaya’Or Unki Madad na
ki. Unhen Qatal kar Ke Maal o Asbab
Loot Liya. Lanat Ho Tum Par.

➡Shia ßook:📑[JaLa UL Uyoon p55]

↪Tabsira:⤵

Beshak Bibi Pak Ki Shan He Jinhone
Ne Shia Ki Haqikat Wazay Kardi Ke Yahi
Qaatilan e Imam Husain Hain..

MaZhaB e ShIa: ⤵


Hazrat imam Musa Kazim Ne Shia Ko
Murtid Kaha

📑[Fro e kafi page107]

Ahle Kufa Ne Maatam Kiya Moo Par
Tamache Maare Aur Siyah Libas
Pehna. Bibi Umme Kalsoom bint e
Hazrat Bibi Fatimah Ne Unhein Lanat Di

📑[jala ul uyoon page426]

Shia Ne Likha:⤵

Sub Se Pehla Maatmi Yazeed Tha

📑 (Jala ul uyoon page441)

Yazeed k ghar 3 din maatm rha

📑 (Jala ul uyon page445)

Hazrat Imam Husain Ko Shaheed Karne
Wale Shia The

📑 (Jala ul uyon page357)

➡ NEXT =”Shia Ka Mutaa”⤵

MAZHAB E SHIA:⤵


➡.Shia Ka Mutaa.⤵

Shia k NAZDEEK Mutaa(zina) karna Jaiz
Hai. Shia k nazdeek koi bhi admi thode
se waqat ke liye kisi aurat ko kiraaye par le
kr apni shehwat k lye istamal kr skta
hai jise shia Nikah ka naam dety
hain, halan’ke ye khalis zina hai.

↘ InSha’ALLAH next msgs me isko zina
sabit kiya jayega..

MAZHAB E SHIA

MUTAA Ya ZINA?

Shia mazhab me aurat ko theke
(contract) par leny ka naam mutaa
hai

📑 (kafi jild2 pagw291)

Beshak muta wali aurat Theky ki cheez
hai

📑 (From:ekafi jild2 page43)

Mutaa Se Asal Garz Shehwat bhujana
hai

📑(Alraudatul bahaya page286, Al’istabsar
page543, jami ul masail page155)

Jab Ke nikah Se Garz afza’ish e nasal
Hota Hai Muta me zarori Hai waqat mutayun ho

📑 (Tohfat ul awam p474, Misba ul
masail p261, jamiu abbasi p135, fro
kafi j2 p44,45)

➡ Zina me b yahi hota hai, insan thori
dair k liye kanjri bazi kar ke bhag jata
hai. JaB ke Nikah to Zindagi bhar k
Rishtey Ka Naam Hai..


MaZhaB e ShIa :⤵

➡*Mutaa Ya Zina???*⤵ 🤔

Mutaa me awal daam phir kaam

📑 (Misbaul masail p261, tohfatul awam
p274, tambi ul munkireen, jamiu
abbasi p256, fro e kafi p44)

Yahi zina me bhi hota hai

Mutaa me kharch chahe jitna kam ho
ya ziyadah. Khuwa muthi bhar gandum
hi kyun na ho

📑(Kafi j2 p194, jamiu abbasi p257, fro e
kafi j2 p43)

Nikah me to sharaee haq mehar Tay
hota hai, lekin muta me kanjar aur
kanjiri razi to phir kya karega qazi

Mutaa La’tadad  aurtono se jaiz hai

📑(Zia ul abden p112, kafi j2 p191, jami
ul masail p231, alroza tul bahaya,
jamiu abasi p257, fro e kafi j2 p43,
al’istabsar p541)

Zina me bhi yahi hota hai un’gint se jis
Tarah chahe jaise chahe zina kare..

~ Khuda Mehfuz rakhe Har Bala Se..
Khusoo’san Shia’aan e be-haya Se..


➡MaZhaB e ShIa⤵



➡*Mutaa ya zina???*⤵

Mutaa Me gawaho ki zarorat bhi nahi.

📑 (Fro e kafi j2 p23, jamiu abbasi p257,
al’istabsar p42)

Yahi zina me bhi hota hai warna nikah
me to do gawaho ki zarorat hoti hai

Mutaa me haq e wirasat ka sawal hi
paida nahi hota

📑 (Zia ul abden p91, jamiu abbasi p257,
fro e kafi j2 p44,45, 47, misbahul
masail p241, al.roza tul bahaya)

Mutaa me talak ka tasawur hi nahi

📑 (Jamiu abbasi p257, alroza tul bahaya,
nafi p84, risala fiqah, tohfatul awam
p289, fro e kafi j2 p43)

Yehi zina me bhi hota hai ke mard o
Aurat ne mu kala kiya phir farig. Lekin
nikah me talak ho sakti hai.

Next

➡MaZhaB e ShIa⤵



➡*Muta K Masa’il*⤵

Shariat e shia me muta zarori hai

📑 (haq ul yaqin p630)

Randi se bhi muta jaiz hai

📑(Zia ul abden p193)

Maa behan se resham lapet kar muta
Karna jaiz hai

📑 (Zakheer ul miad p95)

Yahudi o esai aurat se bhi muta jaiz hai

📑(tohfatul awam)

Muta me ye shart bhi nahi ke din me
Krunga ya raat me, ek dafa krunga ya
do dafa

📑 (Alrozatul bahaya p286, jamiu abbasi
p257)

Wife ki bhanji aur bhateeji se bhi bila
Ijazat muta jaiz hai

📑 (Tohfatul awam p366)


➡MaZhaB e ShIa⤵



➡ Ehm Masala:⤵

Aaj kal aksar log apni beti ka nikah
shia mard se kar dete hain, ya kuch
sunni mard hazraat shia aurat se nikah
Kar lety hain.

Shia sahaba ko galiyan dete hain

Qur'an o hadees ke munkir hain

 is liye qattan kafir huye

Un se mail jol, salam o kalam aur rishtaa
Karna sakht haram hai, jis ne nikah
kiya jab tak wo sath rakhenge khalis
zina hota rahega, jo olad peda hogi
wo b waladuz zina hogi.

➡ See next ~

➡ MaZhaB e ShIa⤵


↪ Shia Mustafa Kareem (sallallahu
Alaihi Wasallam) ki Nazar Me.

“ Beshak ALLAH ne mujhe pasand farmaya
aur mere liye Ashab o Ashar chun
liye. Aur an’qareeb ek aisi qaum
Aayegi ke unhen bura kahegi aur unki
shan ghataegi tum un ke pas na
bethna, na unke sath pani peena na
khana khana na shadi biyah krna na
unke janazy ki namaz padho na unke
sath namaz padho..

📚 [AL’MUSTADRIK LIL HAKIM Jild3,
Page632]

👆 Ye Ahadees 9 aur book's me bhi Hai

See next👇

~MaZhaB e ShIa

Shia Ki Nishaani MUSTAFA Kareem (sallallahu alaihi wasallam) Ki
Zubaani

“An’QAreeb Kuch Log Aane waLe Hain,
Unka ek bad Laqb hOga ke unhen
Rafdi Kaha jayega, SaLF-O-SaLheen Par
Tanqeed karenge, Juma o Jama’at me
Hazir nai Hongey, unke pas na
Bethna , na unke sath Khana Peena,
na Shadi Biyah krna, bemar Hoto
Pochne na Jana, Mar jaen to Janazy
Me Na Jana, na Unke sath Namaz
Parhna”.

📚 (-KANZUL UMAAL J#11 , PG#324-)

Next👇

MaZhaB e ShIa :⤵


Shia mazhab me Ahle sunnat kafir
aur yahood o nasara se bhi bad’tar
hen, unke aqeeday k mutabiq sunni
ko rishtaa na diya jaye, sunni ke alawa
har admi behatar hai.

📑 (Al’istabsar j3 p84 j3 p183, tahzeeb ul
ahkam j7 p302, fro e kafi j5 p348,
250)

Shia Har namaz ke bad Khulfa e salasa
aur Umha tul momineen ko galiyan
dete hain

📑 (Fro e kafi j3 p342)

Kya ab bhi kisi sunni ki gairat ijazat deti
hai ke in kafiro se nikah Karen??

NeXt👇

MaZhaB e ShIa:⤵


Ab Ahle sunnat ki Kutub ka fatwa Bhi
mulahiza farma lain:

Hazrat Abu bakr siddique ya hazrat umar
Farooq me se kisi ak ya dono ko gali
dene waLa aur La’an ta’an krne waLa
kafir Hai.

📚 (Durr e mukhtar wa Raddul muhtar
J#4, PG#237, 238)

Kya koi apni beti ka nikah kafir se
Krna chahega???

MaZhaB e ShIa:⤵


Imam e Ahle sunnat sayyadi A’ala
Hazrat Ahmad Raza Rahmatullah alaihi Ne
Farmaya:

Shia ke bab me hukum yaqini, qattai
ye hai k wo alal umoom kafir murtid
hain, unke hath ka zabeeha murdar
hai unse nikah haram aur khalis zina
hai, aulad waladuz zina hogi bap ka
tarka na paegi. Un mard o aurat aalim
o jahil sub se mail jol rakhana sakht
Kabira ashaddo haram, aur jo unke
maloon aqaid se aagah ho phir bhi
unhen muslim Jane ya unke kufur me
shak bhi kare to khud kafir hai. Uske ke
Liye bhi wohi ahkaam hongey jo mazkoor
huwe.

📚 (RADDUL RAFDA P16)

Ap log bhi ye fatwa hosh se parhen aur
Amal Karen.

MaZhaB e ShIa :-⤵

(LAST)

Iske alawa Shia Ghous e Azam ko
Syed nahi mante aur unhen Galiyan
Bakte hen. Imam bukhari, imam
ghazali aur tamam salf o salheen,
ulma o masha’ikh ko GALIYAN bakte
hain.

Ap ne Shia ke tamam Kufriya aqa’id o
nazariyat mulahiza farmaye jo unki
kitabo me darj hain. Hum ne puri
koshish ke sath tamam msgs ba’hawala
tasdeeq shuda ap ko send kiye. Agar
koi rafzi shia hawale challenge krna
chahe to hum hazir hain..

Jis isLami bhai k pas ye puri series
hogi INSHA’ALLAH un se koi shia bat
Nahi kar sakega.

Kya Arz ki jaye nihayat hi ghaleez
mazhab hai. Hum isi par iktifa karte
Hain. Aqal waLo k Liye itna kafi Hai..

Mazeed phir kahbi Arz karenge
*****************************************

شیعوں کے عقائد 

ٹھنڈے دل سے ضرورپڑھئیےگا
٭٭٭٭٭٭٭٭٭٭٭٭٭٭٭٭٭٭٭٭٭٭٭٭٭٭٭٭٭
تحریفِ قرآن:

قرآن پاک جس پر مسلمان کا عقیدہ ہے کہ اس میں کوئی شک نہیں ہے، اس میں تحریف نہیں ہے، قرآن پاک میں سے ایک لفظ کا بھی انکار کفر ہے، اہلِ اسلام کا عقیدہ ہے کہ اس میں کوئی لفظ زیادہ ہے نہ کم ہے، لیکن شیعہ قرآن پاک میں کمی کے قائل ہی نہیں بلکہ ان کا عقیدہ ہے کہ ’’موجودہ قرآن میں سے بہت سےالفاظ نکال لئے ہیں‘‘، شیخ طوسی نے روایت کیا ہے کہ:

شیعہ کی تحریفا ت

(۱)       ان اللہ اصطفیٰ آدم و نوحاً و اٰل ابراھیم و اٰل عمران و اٰل محمد علی العالمین میں اٰل محمد کے لفظ کو نکال لیا گیا ہے۔

معلوم ہوا کہ موجودہ قرآن میں لفظ اٰل محمد نہیں ہے۔ (ترجمہ حیات القلوب:۲،۱۲۳)

(۲)       قرآن پاک کی صحیح آیت: اِنَّ عَلَیْنَا لَلھُدیٰ۔

            تحریف شدہ آیت: وَ اِنَّ عَلِیًّا لَلھُدٰی، یعنی علی اور ان کی ولایت ہدایت ہے۔

یہ لفظ عَلَیْنَا نہیں عَلِیًّا ہے، (نعوذ باللہ من ذٰلک)۔ (حیات القلوب:۲،۱۲۳)

(۳)      قرآن پاک کی صحیح آیت: فَلَا يَسْتَطِيعُونَ سَبِيلًا۔ (الاسراء:۴۸، الفرقان:۹)

            تحریف شدہ آیت: فلا یستطیعون ولایۃ علی سبیلاً۔

قرآن سے شعیہ عقیدہ کےمطابق یہ الفاظ ولایۃ علیّ نکال دئے گئے ہیں۔

(نعوذ باللہ من ذٰلک)۔        (حیات القلوب:۲،۱۲۳)

(۴)      قرآن پاک کی صحیح آیت: وَقَالَ الظَّالِمُونَ إِنْ تَتَّبِعُونَ إِلَّا رَجُلًا مَسْحُورًا۔ (الاسراء:۴۷)

            تحریف شدہ آیت: و قال الظالمون اٰل محمد حقھم۔

 (۹)      قرآن پاک کی صحیح آیت: وَكَذَلِكَ جَعَلْنَاكُمْ أُمَّةً وَسَطًا لِتَكُونُوا شُهَدَاءَ۔ (البقرۃ:۱۴۳)

            تحریف شدہ آیت: و کذالک جعلناکم ائمتہ و سطا عدلا تکونوا شھداء علی الناس۔ (ترجمہ حیات القلوب:۳،۲۳۴)

(۱۰)     قرآن پاک کی صحیح آیتِ مبارکہ: إِنَّا أَعْتَدْنَا لِلظَّالِمِينَ نَارًا أَحَاطَ بِهِمْ سُرَادِقُهَا۔ (الکھف:۲۹)

            تحریف شدہ قرآنی آیت: انا اعتدنا للظالمین اٰل محمد ناراً احاط بھم سرادقھا۔

(۱۱)      قرآن پاک کی صحیح آیتِ مبارکہ: وَالْعَصْرِ ۔ إِنَّ الْإِنْسَانَ لَفِي خُسْرٍ ۔ إِلَّا الَّذِينَ آمَنُوا وَعَمِلُوا الصَّالِحَاتِ وَتَوَاصَوْا بِالْحَقِّ وَتَوَاصَوْا بِالصَّبْرِ ۔ (سورۃ العصر)

            تحریف شدہ قرآنی آیت: ان الانسان لفی خسر، انہ فیہ من الدھر الا الذین اٰمنوا و عملوا الصالحات وأتمروا بالتقویٰ وأتمروا بالصبر۔ (حیات القلوب:۳،۳۷۸)

قرآن پاک کی پوری سورۃ العصر کو بدل دیا۔

(۱۲)     قرآن پاک کی صحیح آیت مبارکہ: وَقُلِ الْحَقُّ مِنْ رَبِّكُمْ فَمَنْ شَاءَ فَلْيُؤْمِنْ وَمَنْ شَاءَ فَلْيَكْفُرْ إِنَّا أَعْتَدْنَا لِلظَّالِمِينَ نَارًا أَحَاطَ بِهِمْ سُرَادِقُهَا۔ (الکھف:۲۹)

            تحریف شدہ قرآنی آیت: قل الحق من ربکم فی ولایۃ علی انا اعتدنا للظالمین اٰل محمد ناراً احاط بھم سرادقھا۔ (حیات القلوب:۳،۳۸۵)

(۱۳)     قرآن کریم کی صحیح آیتِ مبارکہ: فَبَدَّلَ الَّذِينَ ظَلَمُوا قَوْلًا غَيْرَ الَّذِي قِيلَ لَهُمْ فَأَنْزَلْنَا عَلَى الَّذِينَ ظَلَمُوا رِجْزًا مِنَ السَّمَاءِ۔ (البقرۃ:۵۹)

            تحریف شدہ قرآنی آیت: فبدل الذین ظلموا اٰل محمد حقھم قولاً غیر الذی قیل لھم فانزلنا علی الذین ظلموا اَٰ محمد حقھم رجزا من السماء۔

اس میں اٰل محمد کے الفاظ اپنی طرف سے درج کئے ہیں۔ (حیات القلوب)

(۱۴)     قرآن پاک کی صحیح آیتِ مبارکہ: يَا أَيُّهَا النَّاسُ قَدْ جَاءَكُمُ الرَّسُولُ بِالْحَقِّ مِنْ رَبِّكُمْ فَآمِنُوا خَيْرًا لَكُمْ وَإِنْ تَكْفُرُوا فَإِنَّ لِلَّهِ مَا فِي السَّمَاوَاتِ وَالْأَرْضِ۔ (النساء:۱۷۰)

            تحریف شدہ قرآنی آیت: يا أيها الناس قد جاءكم الرسول بالحق من ربكم فی ولایۃ علی فآمنوا خيرا لكم وإن تكفروا بولایۃ علی فإن لله ما في السماوات والأرض۔ (ترجمہ حیات القلوب بشارتی مترجم باقر مجلسی:۳۸۹)

فی ولایۃ علی اور بولایۃ علی کا اضافہ ہے۔

(۱۵)     قرآن پاک کی صحیح آیتِ مبارکہ: إِنَّ الَّذِينَ كَفَرُوا وَظَلَمُوا لَمْ يَكُنِ اللَّهُ لِيَغْفِرَ لَهُمْ۔ (النساء:۱۶۸)

تحریف شدہ قرآنی آیت: ان الذین ظلموا اٰل محمد حقھم۔ (حیات القلوب:۳،۳۸۹)

ان پندرہ آیاتِ مبارکہ سے ثابت ہوا کہ شیعہ عقائد میں موجود قرآن مبارک نامکمل اور صحیح نہیں ہے، قرآن و سنت کے مطابق اور قرآنی قانون کے مطابق کلمۂ طیبہ کو تبدیل کرنے والا مرتد واجب القتل ہے، ان تمام آیات کی تبدیلی کا ثبوت ہمارے پاس موجود ہے اور ان کی کتاب جس مںی یہ آیات لکھی گئی ہیں ایک حوالہ بھی غلط نہیں لکھا گیا ہے۔

*****************************************

Agar kisi ko shia ke aqaid ki pdf chahiye to click here ⤵

DOWNLOAD